जब औषधि को अग्नि में डाला जाता है, तो वह सूक्ष्म और हलकी होकर वायु में मिल जाती है और नाक द्वारा शरीर में प्रवेश करती है. जिससे रोग जल्दी ठीक होते है.
किसी रोग की गंभीर अवस्था में व्यक्ति की पाचन क्षमता कम हो जाती है. उस समय यज्ञ के धुंए द्वारा औषधि को रोगी के रक्त तक पहुँचाने में सहायता मिलती है.
यज्ञ चिकित्सा द्वारा पौष्टिक खाद्य पदार्थ के घटकों को भी सीधे रक्त तक पहुँचाने में सहायता मिलती है. इससे रोग जल्दी ठीक होता है और अशक्त रोगी को शक्ति भी मिलती है.
मस्तिष्क की दवाइयां अग्नि और मन्त्रों के संपर्क में आकर अति सूक्ष्म और अधिक शक्तिशाली हो जाती हैं और मस्तिष्क तक आसानी से पहुँच जाती हैं.
औषधियों को घी के साथ अग्नि में भस्म करने से औषधियों के घटक चिकनाई युक्त हो जाते हैं और रक्त और शरीर के सभी अंगों में आसानी से प्रविष्ट हो जाते हैं.
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