वात-पित्त-कफ प्रकृति के लक्षण और बीमारियाँ

वात पित्त कफ प्रकृति :  वात पित्त कफ क्या है और कैसे जानें अपनी प्रकृति  में 3 तालिकाएँ दी गयी हैं. इन तालिकाओं में दी गयी प्रश्नावलियों से प्राप्त अंकों द्वारा व्यक्ति के शरीर के वात पित्त और कफ प्रकृति का निर्धारण होता है. अब हम नीचे वात प्रकृति वाले व्यक्ति के लक्षण, पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति के लक्षण और कफ प्रकृति वाले व्यक्ति के लक्षण, स्वाभाव और होने वाली बीमारियों के बारे में पढेंगे.

Table of Contents

वात-पित्त-कफ प्रकृति के लक्षण और बीमारियाँ | vaat pitt kaf kya hai

वात प्रकृति

वात प्रकृति वाले व्यक्ति के लक्षण | वात प्रकृति के लक्षण

  • इस प्रकृति के व्यक्ति दुबले-पतले और लम्बे होते हैं।
  • इनकी त्वचा सूखी तथा खुरदुरी होती है।
  • इनकी आवाज पतली, कमजोर और फटी-फटी होती है।
  • इनके नाखून चिटके और गहरे रंग के हो सकते हैं।
  • ये हर काम जल्दी-जल्दी करते हैं तथा तेजी से चलते हैं।
  • इनमें दांत से नाखून काटने की प्रवृत्ति हो सकती है।
  • इनके दांत कमजोर होते हैं, वे आसानी से टूट सकते हैं और उन पर मैल जमी रहती है।
  • वात प्रकृति के लोगों में भौहे, हाथ या पैर हिलाने की प्रवृत्ति होती है।
  • वात प्रकृति के लोग बातूनी होते हैं और इनके हाथों पैरों पर नसों का जाल साफ दिखाई देता है।
  • इनको मांसपेशियों में ऐंठन की शिकायत आम तौर से हो सकती है।
  • वात प्रकृति के लोग खाने में जल्दबाजी करते हैं और खाने को जल्दी-जल्दी बिना ठीक से चबाये निगल लेते हैं।
  • इनकी भूख, पाचन क्षमता तथा नींद अनियमित होती है।
  • तनाव की स्थिति में इनको अनिद्रा की बीमारी हो सकती है।
  • वात पकृति के लोगों का मूत्र झागदार एवं गहरे भूरे रंग का तथा मल सूखा, कड़ा और काले रंग का हो सकता है।
  • वात प्रकृति के लोग ठंडक बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।
  • वात प्रकृति के व्यक्ति को कब्ज की शिकायत आम होती है।
  • वात प्रकृति के व्यक्ति की आंखों में चमक और नमी नहीं होती तथा पुतलियां सिकुड़ी होती हैं।
  • वात प्रकृति के व्यक्ति की जबान फटी, सूखी तथा उसका रंग नीला या काला हो सकता है । ऐसा लगता है कि रोगी के चेहरे पर राख मल दी गई हो.
  • वात प्रकृति के व्यक्ति में विटामिन बी की कमी के सारे लक्षण पाये जाते हैं।

वात प्रकृति वाले व्यक्तियों का स्वभाव

  • वात प्रकृति के लोग आम तौर पर जोशीले और कल्पनाशील होते हैं पर इनकी भावनाएं बदलती रहती है, जिसके कारण इनको बेचैनी रहती है।
  • ये अस्थिर चित्त होते हैं । वात प्रकृति के लोग अपनी भावनाओं पर नियन्त्रण नहीं रख सकते अतः इनकी मित्रता स्थाई नहीं होती।
  • ये आम तौर पर दूसरों पर विश्वास नहीं करते और इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
  • इनका स्वभाव झगड़ालू हो सकता है।
  • ये दिन-रात में किसी भी समय खा सकते हैं . तथा लगातार परिवर्तन को पसन्द करते हैं।
  • वात दोष से पीड़ित व्यक्ति भयभीत होता है तथा उसमें रोग से लड़ने की हिम्मत नहीं होती है ।

वात प्रकृति वाले व्यक्तियों को कौन सी बीमारियाँ होती हैं

आयुर्वावेद के अनुसार वात प्रकृति के व्यक्ति को 80 प्रकार की बीमारियां होने की संभावना अधिक होती है, जिनमें गठिया, हाथ – पैरों में दर्द या ऐंठन, गर्दन या अन्य मांसपेशियों की अकड़न, नींद न आना, कान या दांतों में दर्द, फालिज, बेहोशी आदि प्रमुख है।

पित्त प्रकृति

पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति के लक्षण | पित्त प्रकृति के लक्षण

  • पित्त प्रकृति के व्यक्ति मझोले कद के होते हैं।
  • इनको धूप और गर्मी से सख्त चिढ़ होती है और पसीना अधिक निकलता है.
  • इनमें शारीरिक क्षमता कम होती है और ये कठिन परिश्रम नहीं कर सकते हैं।
  • इनके मुंह, सिर या शरीर गन्ध भी आ सकती है।
  • इनकी त्वचा पीला या लालपन लिये होती है जो अच्छे रक्त संचरण के कारण होता है।
  • इनके चेहरे पर झाइयां, मस्से या मुहांसे होने की संभावना अधिक होती है तथा झुर्रियां भी समय से पहले हो सकती हैं।
  • इनके बाल चमकीले लाली लिये होते हैं पर ये जल्दी सफेद हो सकते हैं या गिर सकते हैं।
  • इनको तेज भूख और प्यास लगती है, हाजमा अच्छा होता है और ये नियमित समय पर भोजन करते हैं।
  • पित्त प्रकृति के लोगों को ठंडा भोजन और ठंडे पेय अधिक पसन्द होते हैं तथा ये काफी अधिक भोजन कर सकते हैं।
  • पित्त बढ़ जाने पर इनको रात में उठ कर पानी पीना पड़ता है।
  • रोगी का मूत्र साफ, गर्म तथा पित्त या रक्त की उपस्थिति के कारण पीला या लालपन लिये हो सकता है। मल पतला तथा पीले रंग का होता है जिसमें रक्त भी मिला हो सकता है।
  • पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति की जबान लाल और सूजी हो सकती है.
  • पित्त दोष के रोगी की त्वचा छूने पर मुलायम, चिकनी, चमकदार पीली या लाल चकत्तों वाली हो सकती है।
  • ऐसे रोगी की आंखें सूजी हुई लाल या पीली हो सकती हैं।

पित्त प्रकृति वाले व्यक्तियों का स्वभाव

  • इस प्रकृति के लोगों को गुस्सा जल्दी आता है पर ये चुनौतियों को स्वीकार करने के लिये तैयार रहते हैं।
  • इनकी बुद्धि तेज होती है, ये तार्किक ढंग से विचार करते हैं.
  • इनमें जल्दी निर्णय करने की क्षमता होती है तथा बोली सुस्पष्ट होती है।
  • पित्त प्रकृति के लोग प्यार करने वाले तथा खुश रहने वाले होते हैं।
  • इनमें दूसरों की आलोचना या उन पर व्यंग्य करने की प्रवृत्ति हो सकती है।
  • पित्त प्रकृति वाला व्यक्ति कोथ में बोलता है और लोगों पर चिल्ला कर उनसे अपनी बात मनवाना चाहता है।
  • रोगी के चेहरे पर बेचैनी और संदेह के भाव होते हैं, वह भावुक होता है तथा रोग से लड़ना चाहता है।

पित्त प्रकृति वाले व्यक्तियों को कौन सी बीमारियाँ होती हैं

पित्त प्रकृति के लोगों को आयुर्वेद के अनुसार 40 प्रकार की बीमारियां होने की संभावना हो सकती है जिनमें पीलिया या कामला, रक्तपित्त या खून निकलना, शरीर या त्वचा में जलन, बुखार आदि . प्रमुख हैं।

कफ प्रकृति

कफ प्रकृति वाले व्यक्ति के लक्षण | वात प्रकृति के लक्षण

  • कफ प्रकृति के लोग ठोस शारीरिक गठन वाले तथा अधिक शक्ति वाले होते हैं।
  • इस प्रकृति के लोग सूखी और गर्म चीजें खाने में पसन्द करते हंप और इनको ठंडा और नम वातावरण पसन्द नहीं होता है।
  • इनको भूख-प्यास कम लगती है पर शरीर की चयापचय किया उत्तम होने से कम भोजन में ही इनका काम चल जाता है।
  • इनकी त्वचा चिकनी, मुलायम और चमकदार होती है शरीर का तापमान कम रहता है और पसीना कम निकलता है।
  • इनके बाल मोटे और कुछ तैलीय होते हैं।
  • कफ प्रकृति के लोग सोकर उठने पर देर तक बिस्तर में पड़े रहते हैं।
  • मूत्र गंदला हो सकता है और इसमें अल्ब्यूमिन घुला हो सकता है.
  • जीभ सफेद और सूजी हो सकती है।
  • आवाज धीमी, मुलायम और मीठी होती है।
  • त्वचा छूने पर ठंडी, सफेद और चिकनी महसूस होती है।
  • आंखें साफ तथा पुतलियां फैली होती हैं तथा आंखों का सफेद वाला भाग अधिक सफेद होता है।
  • रोगी के चेहरे पर उदासीनता, भावशून्यता तथा स्वयं पर दया के भाव पाये जाते हैं।

कफ प्रकृति वाले व्यक्तियों का स्वाभाव

  • ये शांत प्रकृति के धीरे-धीरे चलने वाले, धीरे-धीरे भोजन करने वाले, गुस्सा जल्दी न होने वाले तथा अधिक नींद वाले होते हैं।
  • इनकी बुद्धि पित्त प्रकृति वालों की तरह तेज होती है पर ये काफी लम्बे समय तक विचार करने के बाद निर्णय लेते हैं।
  • इनको नई चीजें जल्दी समझ में नहीं आती हैं पर याद रखने की क्षमता अधिक होती है।
  • कफ प्रकृति के लोग जल्दी उत्तेजित नहीं होते तथा इनकी मित्रता और शत्रुता धीरे – धीरे बढ़ती है।
  • कफ दोष बढ़ जाने पर ये किसी विषय पर देर तक सोचते रहते हैं पर निर्णय नहीं कर पाते हैं.

कफ प्रकृति वाले व्यक्तियों को कौन सी बीमारियाँ होती हैं

कफ प्रकृति के लोगों को आयुर्वेद के अनुसार 20 प्रकार की बीमारियां होने की संभावना होती है जिनमें सुस्ती, अधिक नींद, मोटापा, बलगम अधिक निकलना आदि प्रमुख हैं।

यह सच है कि मनुष्य की प्रकृति का निर्माण गर्भ में ही हो जाता है पर अपनी प्रकृति के बारे में जान कर यदि हम अपने खान – पान तथा जीवन शैली को ठीक रखें तो बिना बीमार हुये सौ वर्ष तक स्वस्थ जीवन बिता सकते हैं। व्यक्ति को अपनी प्रकृति के अनुसार कुछ बीमारियां होने की संभावना दूसरों की अपेक्षा अधिक होती है। इसके अतिरिक्त किसी विशेष प्रकृति के रोगी में कोई रोग दूसरों की अपेक्षा आसानी से ठीक नहीं होता या ठीक हो जाता है।

वात, पित्त कफ की पहचान कैसे करें

वात बिगड़ने पर गठिया, हाथ – पैरों में दर्द या ऐंठन, गर्दन या अन्य मांसपेशियों की अकड़न, नींद न आना, कान या दांतों में दर्द, फालिज, बेहोशी; पित्त बिगड़ने पर पीलिया या कामला, रक्तपित्त या खून निकलना, शरीर या त्वचा में जलन, बुखार और कफ बिगड़ने पर सुस्ती, अधिक नींद, मोटापा, बलगम अधिक निकलना आदि समस्याएँ होने लगती हैं.

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