पेट की धरण पड़ना या नाभि खिसकना एक ऐसी समस्या है, जो मामूली सी नज़र आती है। लेकिन जब हमें इस समस्या से दो चार होना पड़ता है, तो नानी याद आ जाती है. नाभि खिसकना एक ऐसी समस्या है जो किसी भी उम्र में हो सकती है. खास बात यह है कि डॉक्टर की रिपोर्ट भी नाभि खिसकने के लक्षण आसानी से नहीं दिखा पाती है. एलोपथी के डॉक्टर धरण पड़ने या नाभि खिसकने को कोई बीमारी नहीं मानते. वैसे नाभि खिसकना एक सामान्य समस्या है लेकिन जानकारी न हो तो यह लाखों खर्च करने के बाद भी ठीक नहीं हो पाती है. आइये देखते हैं नाभि खिसकने के घरेलू उपाय।
नाभि खिसकने के लक्षण और नाभि खिसकने से होने वाले रोग | nabhi khisakne ke lakshan
नाभि (Umbilical Cord in Hindi) हमारे शरीर का सबसे अहम और केंद्र बिन्दु है. नाभि शरीर की सभी मांसपेशियों या नाड़िययों का आधार मानी जाती है. यदि इसमें किसी तरह की समस्या आती है, तो पेट की नाड़ियाँ कुछ सख्त हो जाती है. यही नाभि में दर्द का कारण बन जाता है। समस्या ज्यादा हो तो पेचिस, पेट में दर्द, कब्ज़ होना, भूख में कमी आना, दस्त, सर्दी-ज़ुकाम, कफ, मंदाग्नि, अपच या अफरा जैसी समस्याओं से वास्ता पड़ने लगता है. साधारण भाषा में इसे धरण पड़ना, नाभी खिसकना, नाभी टलना या नाभी डिगना कहते है. नाभि टलने पर नाभि के नीचे पेट दर्द nabhi ke niche dard, नाभि के ऊपर पेट दर्द nabhi ke upar dard hona, nabhi ke pass dard hona, नाभि के राइट साइड में दर्द और नाभि के ऊपर गैस बनना शुरू हो जाता है। ये सभी मुख्य रूप से नाभि खिसकने के नुकसान और रोग हैं।
नाभि खिसकने के कारण (Reason of Dharan)
कई बार सामान्य क्रियाकलापों के दौरान ही धरण पड़ने की समस्या हो जाती है. लेकिन भारी सामान उठाने से, गिरने-पड़ने से, हाथों और पावों में यदि जोर का झटका लग जाए, तो उस स्थिति में नाभि में सामान्य अवस्था में रहने वाली हवा अपने निर्धारित स्थान से अलग हो जाती है. कई बार चलते समय अचानक ऊँची या नीची जगहों पर पैर टिकने की वजह से भी नाभि खिसक सकती है.
महिलाओं और पुरुषों में नाभी डिगना
आपको हैरानी होगी कि पुरुषों में बाएं ओर (बाईं तरफ) नाभि खिसकती है जबकि स्त्रियों में नाभि दाएं ओर (दाईं तरफ) खिसकती हैं. नाभि या धरण (Dharan) जिस ओर खिसकती है उस ओर पेट का हिस्सा हल्का दबाने से काफी सख्त महसूस होता हैं. इसके अलावा पेट में मरोड़ उठने और दर्द होने की दिक्कत भी हो जाती है.
नाभि खिसकने की पहचान
नाभि खिसकने की पहचान के लिए जमीन पर सीधे पीठ के बल लेट जाएँ और अपनी नाभी पर अंगूठा रखें। हल्के दबाव के साथ धड़कन को महसूस करें। अगर धड़कन नाभी के केंद्र से दूर यानि नाभी से दो तीन इंच दूर महसूस हो रही है तो निश्चित ही आपको धरण डिगने की समस्या हो चुकी है। यानि आपकी नाभि अपने स्थान से खिसक चुकी है।
नाभि खिसकने की पहचान के लिए दूसरा तरीका यह है कि अपने दोनों पैरों को सटाकर सीधे और सावधान की मुद्रा खड़े हो जाएँ। इसके बाद दोनों हाथों को सामने सीधा करके आपस में मिलाएं। यदि दोनों हाथों की अंगुलियां बराबर हैं तो नाभि सही है। लेकिन अगर दोनों हाथों की अंगुलियाँ छोटी-बड़ी दिख रही हैं, तो नाभि टली हुई है यानि नाभि खिसकी हुई है। यही नाभि टलने की पहचान अथवा नाभि खिसकने के लक्षण है.
Navel sliding home remedies | नाभि खिसकने के उपाय हिन्दी में (Measures to move the navel in Hindi) | नाभि खिसक जाने पर क्या करना चाहिए?
नाभि कैसे ठीक करें, इसका जवाब लेने से पहले कुछ परहेज करने जरूरी हैं। नाभि टलने या धरण पड़ने की दिक्कत हो जाने पर सबसे पहले भारी काम जैसे वजन उठाना, उछल-कूद, खेल, दौड़ लगाना और कठिन परिश्रम वाले काम करने से बचना चाहिए. इसके अलावा पेट को मसलने और दबाने से भी परहेज करना चाहिए.
धरण का इलाज (Treatment of mold) | नाभि के नीचे पेट दर्द का ilaj
अब यदि मरीज की परेशानी का कारण जान लेने के बाद, उसका निवारण भी जानना जरूरी है. इसके लिए हम यहां आपको कुछ उपाय बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से बिना किसी दवा के नाभि अपने स्थान पर वापस आ जाएगी.
नाभि को सही करने के देशी उपचार (Native treatment of navel correcting)
रोगी धरण के उपचार के लिए सुबह खाली पेट पीठ के बल लेट जाएं। अपने दोनों हाथ-पैरों को ढीला छोड़ें। यानि शवासन की मुद्रा में लेट जाएँ। किसी धागे से नाभि से दोनों छातियों की दूरी माप लें। यदि दूरी में असमानता है, तो नाभि खिसकी हुई है। अब धीरे धीरे अपने एक पैर को सीधा रखते हुए ऊपर की तरफ उठाएँ. कुछ देर उसी अवस्था में रहें और फिर धीरे धीरे नीचे ले आयें। सामान्य अवस्था में आने के बाद अब दूसरे पैर से भी यही क्रिया दोहराएँ। तीसरी बार अपने दोनों पैरों को एक साथ ऊपर की ओर उठाएँ। ऐसा कम से कम तीन से चार बार करें.
इसके बाद सीधे खड़े हो जाएँ और दोनों हथेलियों को मिलाएं। यदि दोनों हथेलियों को मिलाने पर कनिष्ठा अंगुलियां छोटी-बड़ी नजर आ रही है, तो जिधर की उंगली छोटी हो उधर के हाथ की मुट्ठी बांध लें। और दूसरे हाथ से उस हाथ की कोहनी को पकड़कर कंधे की तरफ़ झटकें। ऐसा आठ या दस बार करने से नाभि अपनी जगह आ जायेगी।
पेट की धरण यानी नाभि का घरेलू इलाज | nabhi ka gharelu ilaj in hindi
नाभि खिसकने का एक आयुर्वेदिक उपाय भी है। इस उपाय के अनुसार पीठ के बल लेटे हुए नाभि के चारों तरफ़ सूखा आंवले के चूर्ण में अदरक का रस मिलाकर नाभि पर बांध लें। इसके बाद लगभग दो घंटे लेटे रहें. दिन में दो बार ऐसा करने से नाभि अपनी वास्तविक स्थिति में आ जायेगी.
आसन द्वारा नाभि खिसकने का इलाज (Navel sliding posture)
पीठ के बल लेटकर पादांगुष्ठनासास्पर्शासन करें. इसके लिए जमीन पर सीधे पीठ के बल लेट जाएँ। अब बाएं पैर को घुटने से मोड़कर हाथों से पैर को पकड़ लें व पैर को खींचकर मुंह तक ले आयें। सिर उठायें व पैर का अंगूठा नाक से लगाने का प्रयास करें। इसी अवस्था में कुछ देर रुकें, फिर धीरे धीरे सामान्य अवस्था में आ जायें। अब दूसरे पैर से भी यही प्रक्रिया दोहराएं। फिर दोनों पैरों से एक साथ ऐसा करें। तीन बार करने से नाभि अपनी सही जगह आ जाएगी। उत्तानपादासन, मत्स्यासन, धनुरासन, हलासन व चक्रासन से भी नाभि अपनी जगह आ जाती है.
पुरानी धरण का इलाज | बार बार नाभि टलना (Repeated Navel sliding)
अगर आपको नाभि टलने की समस्या बार बार हो रही है तो दो चम्मच सौंफ का पाउडर गुड़ में मिलाकर एक सप्ताह तक सेवन करें तो उपचार अवश्य हो जाता हैं और फिर नाभि खिसकने की समस्या होती भी नहीं है. इसके अलावा अपने पैर के अंगूठे में काला धागा बांध लेने से भी बार बार धरण पड़ने की समस्या से छुटकारा मिल जाता है.
dharan ka ilaj | धरण पड़ने पर भोजन कैसा करें
वैसे तो इसके लिए कोई खास खाने पीने संबंधी परहेज नहीं होता। लेकिन फिर भी जिन्हें धरण पड़ने की दिक्कत बार बार होती है उन्हें सादा खाना लेना चाहिए. धरण पड़ जाने पर पर नरम और सुपाच्य खाना ही लेना चाहिए। आमतौर पर रोगी को मूंग की खिचड़ी खाना बेहतर रहता है. इसके अलावा दिन में एक-दो बार पांच मिलीग्राम तक अदरक का रस देने से लाभ मिलता हैं. भोजन ऐसा होना चाहिए जो शरीर आसानी से पचा सके.