प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों में पाई जाने वाली एक अखरोट के आकार की ग्रंथि है, जो मूत्राशय के नीचे और मूत्रमार्ग के चारों ओर होती है। इसका मुख्य कार्य एक तरल पदार्थ का उत्पादन करना है, जो शुक्राणुओं के साथ मिलकर वीर्य का निर्माण करता है। यह पुरुषों के प्रजनन और मूत्र प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
उम्र के साथ प्रोस्टेट का बढ़ना एक सामान्य स्थिति है, जिससे पेशाब करने में कठिनाई हो सकती है।
प्रोस्टेट ग्रंथि के कार्य
- वीर्य का निर्माण: प्रोस्टेट एक दूधिया, क्षारीय तरल पदार्थ बनाता है जो शुक्राणुओं के साथ मिलकर वीर्य बनाता है।
- वीर्य को तरल बनाना: यह PSA (प्रोस्टेट-विशिष्ट प्रतिजन) नामक एक प्रोटीन उत्पन्न करता है जो स्खलन के दौरान वीर्य को तरल बनाने में मदद करता है।
- वीर्य का स्राव: स्खलन के दौरान, प्रोस्टेट की चिकनी मांसपेशियाँ सिकुड़ती हैं और प्रोस्टेट द्रव को मूत्रमार्ग में धकेलती हैं।
प्रोस्टेट से जुडी समस्याओं का योगासन से इलाज
प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate Gland) के इलाज के लिए कई योगासनों का अभ्यास किया जा सकता है, लेकिन कुछ खास योगासन इस समस्या में बहुत प्रभावी माने जाते हैं। यहां तीन सबसे अच्छे योगासनों के बारे में बताया गया है, जो प्रोस्टेट ग्रंथि की समस्याओं के लिए फायदेमंद हैं।
बद्ध कोणासन (Baddha Konasana):

बद्ध कोणासन करने का तरीका
- जमीन पर बैठकर अपने दोनों पैरों के तलवों को एक-दूसरे से जोड़ लें।
- अपने घुटनों को बाहर की तरफ फैलाएं और एड़ियों को जितना हो सके, शरीर के करीब लाएं।
- अपने हाथों से पैरों को पकड़ें और धीरे-धीरे अपने घुटनों को ऊपर-नीचे हिलाएं, जैसे तितली अपने पंख हिलाती है।
- कुछ मिनटों तक इस स्थिति में रहें और गहरी सांस लें।
बद्ध कोणासन (Baddh Konasana) के लाभ
- यह आसन श्रोणि (Pelvic) क्षेत्र में रक्त संचार को बढ़ाता है।
- यह प्रोस्टेट ग्रंथि के आस-पास की मांसपेशियों को आराम देता है और उन्हें मजबूत बनाता है।
- यह मूत्र प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
गोमुखासन (Gomukhasana)

गोमुखासन करने का तरीका
- जमीन पर बैठें।
- अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़ें और उसे बाएं कूल्हे के नीचे रखें।
- अब अपने बाएं पैर को घुटने से मोड़ें और उसे दाएं घुटने के ऊपर रखें, ताकि दोनों घुटने एक-दूसरे के ऊपर आ जाएं।
- अपने दाएं हाथ को पीठ के पीछे से नीचे की तरफ ले जाएं और बाएं हाथ को ऊपर से कंधे के ऊपर से नीचे की तरफ लाएं।
- दोनों हाथों को पीठ के पीछे पकड़ने की कोशिश करें।
- इस स्थिति में कुछ समय तक रहें और फिर दूसरी तरफ से भी दोहराएं।
गोमुखासन के लाभ:
- यह आसन श्रोणि क्षेत्र में लचीलापन बढ़ाता है और तनाव को कम करता है।
- यह पेट के निचले हिस्से और मूत्र मार्ग से जुड़ी समस्याओं में राहत देता है।
- यह प्रोस्टेट के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि यह उस क्षेत्र में रक्त प्रवाह को बढ़ावा देता है।
वीरभद्रासन (Virabhadrasana)

वीर भद्रासन कैसे करें:
- अपने पैरों को लगभग 3-4 फीट की दूरी पर रखकर खड़े हो जाएं।
- अपने दाएं पैर को 90 डिग्री बाहर की तरफ मोड़ें और बाएं पैर को थोड़ा अंदर की तरफ घुमाएं।
- अपने दाएं घुटने को मोड़ें, ताकि जांघ जमीन के समानांतर आ जाए।
- अपने धड़ को आगे की तरफ घुमाएं और अपने हाथों को ऊपर की तरफ उठाएं, हथेलियों को एक-दूसरे की तरफ रखें।
- ऊपर देखें और कुछ समय तक इस स्थिति में रहें।
- फिर दूसरी तरफ से भी दोहराएं।
वीर भद्रासन के लाभ:
- यह आसन पूरे श्रोणि क्षेत्र की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
- यह शरीर में संतुलन और स्थिरता लाता है।
- यह प्रोस्टेट क्षेत्र में रक्त संचार को बढ़ाता है और वहां के अंगों के कार्य में सुधार करता है।
इन योगासनों का नियमित अभ्यास प्रोस्टेट ग्रंथि के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है। हालांकि, किसी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के लिए डॉक्टर या योग विशेषज्ञ से सलाह लेना हमेशा सबसे अच्छा होता है।