मलत्याग के स्थान (गुदा) या मलाशय में रक्त ले जाने वाली नसें और टिश्यूज़ में जब सूजन हो जाती है, तो इस स्थिति को बवासीर या पाइल्स कहते हैं। भारत में इस समय लाखों लोग पाइल्स या बवासीर के शिकार हैं। इसका मुख्य कारण गलत खान-पान और रहन सहन है। अपनी जीवन शैली में सुधार करके बवासीर से बचा जा सकता है। इस लेख में हम बवासीर के लक्षण, कारण और आयुर्वेदिक घरेलू इलाज से संबंधित सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
बवासीर (piles) क्यों होता है (बवासीर के कारण)
पाइल्स या बवासीर के कारण हालांकि अभी अज्ञात हैं। लेकिन रोगियों पर किए गए अब तक के रिसर्च के बाद यह पता लगा है कि गुदा क्षेत्र अथवा मलत्याग के स्थान के आस पास के ऊतकों पर दबाव बढ़ने पर उनमें सूजन होती है। और इसका नतीजा बवासीर के रूप में सामने आता है। इस आधार पर पाइल्स या वासीर होने के निम्न कारण हो सकते हैं –
- मल की कठोर और मोटी गांठें
- कब्ज होने पर मलाशय पर पर पड़ने वाला दबाव
- लंबे समय तक शौचालय में बैठे रहना
- 50-60 साल की उम्र के बाद शरीर में होने वाली आंतरिक कमजोरी
- मोटापा
- गर्भावस्था
- अप्राकृतिक मैथुन करना
- जंक फूड या फास्ट फूड का अधिक इस्तेमाल
- भारी वजन उठाने का काम करना
पाइल्स या बवासीर के प्रकार
Piles या बवासीर मलाशय के अंदर भी हो सकता है और गुदा द्वार पर भी हो सकता है। गुदा द्वार पर होने वाले बवासीर को बाहरी piles कहते हैं। इसमें गुदा द्वार के पास छोटी-छोटी गांठें बनने लगती हैं, जिनमें खुजली होने लगती है। कभी कभी मल त्याग करते समय इनमें दर्द भी होने लगता है। कुछ मामलों में गुदा द्वार से मल के साथ रक्त भी आ सकता है। कभी-कभी सूजन मलाशय में आ जाती है, जिससे गांठ बन जाती है। इसको आंतरिक बवासीर कहते हैं। इसमें लगातार दर्द बना रहता है।
पाइल्स या बवासीर के लक्षण
अगर आपको इस तरह के लक्षण दिखाई दें, तो यह बवासीर हो सकता है-
- गुदा द्वार पर दर्द या खुजली
- गुदाद्वार के अंदर लगातार दर्द
- मलत्याग के बाद गाढ़े लाल रंग का रक्त
- पेट साफ न होने का अहसास
पाइल्स (बवासीर) के घरेलू उपचार
बवासीर उन लोगों को अधिक होता है, जो शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होते। या अधिक जंक फूड या फास्ट फूड खाते हैं। इसके अलावा उनकी लाइफ स्टाइल में देर तक जागना, देर से उठना, शराब का सेवन, धूम्रपान आदि शामिल रहता है। इसलिए यदि बवासीर को ठीक करना है तो बवासीर के लक्षण दिखते ही सबसे पहले अपने खान-पान और जीवन शैली को बदलिए।
- खाने में फ़ाइबर युक्त आहार लें। फ़ाइबर युक्त आहार में कच्चे फल और सब्जियां, चोकर युक्त आटा आदि ले सकते हैं। इससे आपको कब्ज से राहत मिलेगी।
- रोजाना एक्सरसाइज़ करें। कम से कम 3 किमी सैर अवश्य करें।
- कम से कम आधा घंटा योगासन करें। बवासीर के लिए सर्वांगासन, पादहस्तासन, पवन मुक्तासन, बालासन और वज्रासन मुख्य आसन हैं।
- हफ्ते में 2-3 बार नींबू या अरंडी के तेल का एनीमा लें।
- 8-10 किशमिश लें। उसे पानी में भिगो दें। अगले दिन सुबह उसे पानी में मसलकर खाली पेट पी जाएं। इस पानी को रोजाना सेवन करें। कुछ दिन में बवासीर ठीक हो जाता है। किशमिश के साथ 4-5 अंजीर भी ले सकते हैं।
- जामुन और आम की गुठली के अंदर के भाग को को सुखाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण के एक चम्मच को छाछ के साथ लेने से बवासीर में लाभ होता है।
- नियमित ईसबगोल का इस्तेमाल करें।
- रात को सोते समय एक चम्मच आंवले का रस 2 कप पानी में डालकर पियें। इससे पेट साफ होने में मदद मिलेगी।
- बड़ी इलायची को तवे पर भूनकर उसका चूर्ण बना लें। सुबह खाली पेट एक इलायची का चूर्ण लेने पर बवासीर ठीक हो जाता है।
- चम्मच का चौथाई भाग दालचीनी का चूर्ण दिन में एक बार शहद के साथ लें।
बवासीर के मस्से सुखाने के उपाय
- नीम का तेल बवासीर के मस्सों पर लगाने से लाभ होता है।
- तिल का पेस्ट मक्खन के साथ मिलाकर लगाने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।