ये 4 आसन हैं पाचन तंत्र मजबूत करने की दवा

आज देश में लाखों लोग पेट ख़राब होने की समस्या से जूझ रहे हैं. पेट ख़राब होने के कारण पेट में दर्द, आँखों में जलन, ह्रदय मन जलन, आंतों में सूजन, कब्ज़, गैस आदि समस्याएं आम हो गयी हैं. अक्सर पेट ख़राब दो कारणों से होता है. पहला तो गलत खान पान और दूसरा पाचन की कमजोरी. इसमें भी पाचन की कमजोरी पेट ख़राब होने का प्रमुख कारण है. इस कारण अधिकतर लोग कई तरह के चूर्ण खाते रहते हैं, या डॉक्टर की दवाई के आदी हो जाते हैं. यदि पाचन तंत्र को मजबूत बना दिया जाये, तो खाना पेट की अधिकतर बीमारियाँ ख़त्म हो सकती हैं. ये 4 योगासन पाचन तंत्र मजबूत करने की दवा हैं.

आइये देखते हैं वे कौन से आसन हैं, जिनके करने से हम बिना दवाई खाए, अपना पाचन तंत्र मजबूत कर सकते हैं.

1. सर्वांगासन

यह एक रहस्यपूर्ण आसन है जिसके अभ्यास से आश्चर्यजनक लाभ होते हैं। इसे सर्वांगासन इसलिये कहते हैं क्योंकि इस आसन को करते समय शरीर के सभी अङ्गों का व्यायाम हो जाता है।

ये 4 आसन हैं पाचन तंत्र मजबूत करने की दवा

सर्वांगासन की विधि

एक मोटा कम्बल जमीन पर बिछा कर सर्वांगासन का अभ्यास करना चाहिये।

Step 1 : पीठ के सहारे चित्त लेट जाएँ, और गहरी सांस लें।

Step 2 : अब सांस भरकर धीरे-धीरे दोनों टाँगों को उठायें। टाँगों के साथ साथ कमर और धड़ भी वहाँ तक उठाएं कि सब एक सीध में खड़े हो जायें और पीठ का कुछ भाग, कंधे और गर्दन जमीन छूते रहें.

Step 3 : अब सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों से कमर को पीछे से सहारा दे कर रोक दें, जिससे कुहनियाँ जमीन पर टिकी रहें। ठोढ़ी छाती पर इस तरह लगा दें, जैसे जालन्धर बन्ध में लगाई जाती है।

अब आपका शरीर सर्वांगासन में है. इस स्थिति में शरीर को सीधा रखें और इधर उधर हिलने-डुलने न दें। पैर बिल्कुल सीधे रखें। इस समय सामने वाली गर्दन की निचली स्नायु ग्रन्थि Thyroid पर ध्यान जमायें। कुछ देर इस स्थिति में रहने के पश्चात् शरीर को झटका दिये बिना बहुत धीरे-धीरे पैरों को नीचे लायें।

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पाचन तंत्र के लिए सर्वांगासन के लाभ

  •  सर्वांगासन के अभ्यास से Thyroid gland नामक ग्रन्थि को बड़ा लाभ पहुँचता है. Thyroid gland के स्वस्थ रहने से रक्त संचार, श्वास क्रिया, जननेन्द्रियां, जठराग्नि और स्नायु केन्द्र आदि अपना काम ठीक-ठीक करते हैं। गर्दन की स्नायु ग्रन्थि का कार्यसम्बन्ध मस्तिष्क की मांस पेशियों, गुर्दे, यकृत, प्लीहा और अण्डकोष की मांस पेशियों से है। अतः गर्दन की मांस-पेशी के स्वस्थ होने से और सब मांस-पेशियाँ स्वास्थरूप से काम करने लगती है और शरीर का स्वास्थ्य अपने आप ठीक हो जाता है।
  • सर्वांगासन से रक्तविकार, स्नायुविकार और मन्दाग्नि आदि रोगों को जड़ से मिटाया जा सकता है. सर्वांगासन से कुंडलिनी जाग उठती है और जठराग्नि प्रज्वलित हो जाती है।
  • सर्वांगासन के नित्य अभ्यास से पुरानी अपच, कब्ज आदि आँतों से सम्बन्ध रखने वाले रोग ठीक हो जाते हैं। इस आसन से लीवर, प्लीहा, फेफड़ा आधी समस्त रोग ठीक होते हैं. पाइल्स रोग में भी इस आसन को करने से लाभ होता है.

2. वज्रासन

यह ऐसा आसन है जो भोजन के बाद भी किया जा सकता है.

ये 4 आसन हैं पाचन तंत्र मजबूत करने की दवा

वज्रासन विधि

वज्रासन बहुत आसान आसन है. भोजन के बाद घुटने मोड़कर पैर के तलवों को नितम्बो के दोनों ओर रखें. पैर की पिण्डली जाँघ को अवश्य स्पर्श करे। अंगूठे से लेकर, से घुटने तक का हिस्सा जनीन को छूता रहे।  इस प्रकार घड़ , गर्दन और सिर एक सीधी रेखा में करके बैठो।  शरीर का सारा बोझ घुटनों और टखनों पर पड़ता है। अभ्यास के प्रारम्भ में और टखने के जोड़ों में मामूली दर्द मालूम पड़ सकता है। किन्तु यह बहुत जल्द दूर हो जाता है। इस आसन को भोजन के बाद 5 मिनट कम से कम करें या अधिक समय कर ले तो लाभदायक रहेगा। 

पाचन तंत्र के लिए वज्रासन से लाभ 

  • यदि भोजन के बाद 5 मिनट भी इस आसन में बैठा जाए तो भोजन अच्छी तरह पचेगा।
  • मंदाग्नि वालों को इससे विशेष लाभ होता है।
  • पैर और जाँघों की पेशियो और स्नायुओं की पुष्टि होती है।
  • घुटने , पैर , अंगूठे और जाँघों की गठिया दूर होती है। नसों का दर्द मिटता है।
  • वायुगोला दूर होता है। आमाशय तेजी से काम करता है।
  • वज्रासन के अभ्यास से नाभि पर बहुत लाभप्रद प्रभाव पड़ता है जहाँ से 72000 नाड़ियाँ निकलती हैं।

3. पश्चिमोत्तानासन 

पेट के लिए पश्चिमोत्तानासन एक बहुत ही कारगर आसन है. इस आसन के करने से पाचन तंत्र पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है.

पश्चिमोत्तानासन की विधि

Step 1 : जमीन पर बैठ कर अपनी टांगों को फैला कर बैठ जाएँ।

pashchimottanasana पश्चिमोत्तानासन के चमत्कार

Step 2 : उसके बाद सांस निकालते हुए सर को घुटनों की तरफ झुकाते हुए घुटनों को बिना मोड़े पैरों के अँगूठों को पकड़ो। बिना झटका दिये धीरे-धीरे धड़ को इतना झुकायें कि माथा घुटनों को छू ले। झुकना धीरे-धीरे ही चाहिये. जब धड़ को झुकायें, तब पेट को भीतर खींचें। उस समय तक साँस को रोके रखना चाहिये जिस समय तक कि माथे को घुटने पर से हटा कर अपनी पुरानी जगह ले जाकर धड़ को सीधा करके न बैठ जायें। सीधे बैठ जाने पर ही साँस लेना चाहिये।

पाचन तंत्र के लिए पश्चिमोत्तानासन से लाभ

  • पश्चिमोत्तानासन करने से जठराग्नि प्रज्वलित होती है.
  • पश्चिमोत्तानासन करने से चर्बी कम होकर मोटी कमर पतली होती है।
  • बढ़ी हुई तोंद या मोटे पन के लिए तो यह आसन अचूक दवा है।
  • इस आसन के करने से बढ़ी हुई तिल्ली और बढ़ा हुआ जिगर घटकर अपने असली सूरत पर आ जाते हैं।
  • सर्वांगासन से जिस तरह Endocrine Glands उत्तेजित होते हैं, उसी तरह पश्चिमोत्तानासन के करने से उदराङ्ग अर्थात गुदा यकृत पित्त प्रणालो आदि उत्तेजित होते हैं।
  • इस आसन के करने से आँतों के सिकुड़ने और फैलने का काम ठीक-ठीक होने लगता है। आंतों के ठीक ठीक सिकुड़ते और फैलते रहने से ही भोजन किया हुआ अन्न ठीक से रसों में परिवर्तित होता है और आंतें बचे हुए अन्न को सिकोड़ते और फैलाते हुए आते मलाशय तक ले जाती हैं, जहाँ से वह मल के रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है।
  • इस आसन के करते ही कब्ज़ ठीक होने लगता है,  यकृत की सुस्ती दूर होती है, जिससे सीने और गले में होने  वाली जलन ख़त्म हो जाती है और मन्दाग्नि दूर होती है।
  • इस आसन से अपच एवं बदहजमी दूर होती है. आंतें अपना काम ठीक ढंग से करती हैं.

एक बात का ध्यान रखें कि पश्चिमोत्तानासन को तेजी के साथ भी नहीं करना चाहिए। नहीं तो कब्ज़ बढ़ सकती है.

4. बद्ध पद्मासन

बद्ध पद्मासन पद्मासन का ही एक प्रकार है।

ये 4 आसन हैं पाचन तंत्र मजबूत करने की दवा

बद्ध पद्मासन की विधि

Step 1 : पद्मासन में बैठ जाएँ।

Step 2 : दाहिने हाथ को पीठ के पीछे ले जायें और दाहिने हाथ की अंगुलियों से दाहिने पैर का अंगूठा पकड़ें।

Step 3 : बायें हाथ को पीठ के पीछे ले जायें और बायें हाथ की अंगुलियों से बायें पैर का अँगूठा पकड़ें।

Step 4 : अब ढुड्डी को छाती से सटायें।  नासिका के अम भाग पर दृष्टि रखें।  धीरे धीरे साँस लें.

इस आसन अभ्यास कम से कम छः मास तक नियमित रूप से करना चाहिये। तभी अधिक से अधिक लाभ हो सकता है।

पाचन के लिए बद्ध पद्मासन के लाभ

  • बद्ध पद्मासन से पेट, यकृत, प्लीहा और आंतों के असाध्य रोग अच्छे हो जाते हैं।
  • इस आसन से पेट के रोग जैसे पेट फूलना, मन्दाग्नि, वायुगोला, शूल, आम, अपच कोष्ठबद्धता, पित्त का बढ़ना, खट्टी डकार आना, पुरानी गठिया आदि दूर होते हैं।
  • यह आसन प्लीहा और यकृत की वृद्धि को नियंत्रित करता है।

यदि आप ऊपर बताये गए 4 आसनों का लगातार नियमित रूप से अभ्यास करते हैं तो 2-3 महीने में आपका पाचन तंत्र मजबूत हो जायेगा. आप स्वयं ही महसूस करेंगे कि धीरे-धीरे आपकी पेट साफ़ करने की दवाओं पर से निर्भरता ख़त्म हो रही है. फिर आपको भी मानना पड़ेगा कि योगासन ही पाचन तंत्र मजबूत करने की दवा है.

पाचन क्रिया कैसे सुधारे

लगातार पेट ख़राब रहने से पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है, जिसे मन्दाग्नि कहते हैं. इससे शरीर में तमाम तरह के रोग हो जाते हैं. पाचन क्रिया सुधारने के लिए अभ्रक भस्म का प्रयोग करें. सुबह कम से कम 2-3 किमी. तेज गति में टहलें. साथ ही ये चार आसन 1. सर्वांगासन, 2. पद्मासन, 3. पश्चिमोत्तानासन और 4. बद्ध पद्मासन भी नियमित रूप से करें. पाचन क्रिया अवश्य ठीक हो जाएगी.

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