सर्दी के रोगों की यज्ञ द्वारा चिकित्सा : शरद ऋतु में सर्दी का प्रकोप बहुत ज्यादा हो जाता है. सूखी एवं ठंडी शीतलहर प्रायः ही चला करती है. अचानक कहीं वर्षा के कारण हवा में गलन भी बढ़ जाती है. ऐसे मौसम का मानव शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है. खासकर छोटे बच्चे और बुजुर्ग ऐसे मौसम में अक्सर बीमार पड़ जाते हैं.
सर्दी में शरीर की वायु बिगड़ जाती है तथा कफ असंतुलित हो जाता है. इस कारण बच्चों को जुकाम, खांसी, निमोनिया और बुजुर्गों को जोड़ों में और शरीर में दर्द की समस्या बढ़ जाती है. सर्दी के दिनों में बुजुर्गों के सभी जोड़ अकड़ जाते हैं. युवाओं में भी इम्युनिटी कम हो जाती है, जिससे कई प्रकार के फ्लू और बुखार आदि हो जाते हैं.
इन्ही सब समस्याओं से बचने का एकमात्र उपाय है यज्ञ चिकित्सा. नियमित रूप से सही विधि से यज्ञ करने से बच्चों से लेकर बूढों तक को सर्दी में कोई समस्या नहीं होती तथा बीमारियाँ दूर रहती हैं.
सर्दी में यज्ञ चिकित्सा की विधि
सर्दी में यज्ञ करने के लिए विशेष प्रकार की औषधियों से बनी सामग्री काम में आती है. नीचे सामग्री बनाने की औषधियां दी हुई हैं-
- शतावर (50 ग्रा)
- दारूहल्दी (50 ग्रा)
- चिरायता (50 ग्रा)
- मुलेठी (50 ग्रा)
- बड़ी इलायची (50 ग्रा)
- कपूर कचरी(50 ग्रा)
- वायविडंग (50 ग्रा)
- मोचरस(50 ग्रा)
- गिलोय(50 ग्रा)
- चिरौंजी(50 ग्रा)
- गोरखमुंडी (50 ग्रा)
- काकड़ासिंगी(50 ग्रा)
- पदमाख(50 ग्रा)
- सुपारी(25 ग्रा)
- जटामासी(25 ग्रा)
- भोजपत्र (25 ग्राम)
- रेणुका (25 ग्राम)
- कौंच बीज (25 ग्राम)
- शंखपुष्पी
- गुग्गुल (75 ग्राम)
- छुहारा (100 ग्राम)
- काला तिल (100 ग्राम)
- अखरोट (100 ग्राम)
- तुलसी के बीज (100 ग्राम)
- चन्दन चूरा (100 ग्राम)
- तुम्बरू (250 ग्राम)
- राल (150 ग्राम)
- मुनक्का (150 ग्राम)
- जौ (200 ग्राम)
- गाय का घी (1 किलो)
- गुड या मिश्री (500 ग्राम)
उपरोक्त सभी चीज़ें अच्छी तरह सुखाकर कूट लें. इसके बाद सबको अच्छी तरह मिला लें. इस मिश्रण को किसी साफ़ बर्तन में भरकर रख लें. सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय रोज़ आम की समिधा के साथ उपरोक्त सामग्री से हवन करें.