कमर दर्द के लक्षण, कारण व कमर दर्द के घरेलू उपचार

रीढ़ की अस्थि, शरीर का खास हिस्सा है। यह शरीर को संतुलन व लचक प्रदान करती है। रीढ़ की हड्डी (अस्थि) गर्दन से लेकर कमर तक होती है। अगर कमर की पाँच कशेरूकायें (जो समस्त काया का संतुलन बनाये हुए हैं) प्रभावित होती हैं तो इससे कमर दर्द, नितंबों में दर्द, कमर में अकड़न, आदि की समस्या हो जाती है। आयुर्वेद में 80 प्रकार के वायुजन्य रोग बताये गये हैं। इनमें कमर दर्द भी एक बीमारी है। आजकल यह बीमारी बहुत ज्यादा स्त्री-पुरुषों को परेशान किये हुए है। ऐसे बहुत से लोग मिलते हैं जो 40-50 की आयु के होते ही इस पीड़ा से ग्रस्त हो जाते हैं।
नेशनल सेन्टर ऑफ हेल्थ स्टेस्टिक्स, अमेरिका के मुताबिक कटिशूल एक अन्तर्राष्ट्रीय ऐपिडेमिक की भांति उभर रहा है एवं 45 साल से कम के व्यक्तियों की कार्यक्षमता पर प्रतिकूल असर डालने वाली सबसे खास वजह बनता जा रहा है।

हालांकि कमर में दर्द होने की समस्या किसी भी आयु में हो सकती है, लेकिन प्रौढावस्था में यह परेशानी खासतौर से होती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कमर दर्द होना एक सामान्य बात हो गई है। कामकाजी महिलाओं को यह दर्द और भी परेशान करता है। महिलाओं में कमर दर्द विशेषतः 30-40 वर्ष की आयु में होने लगता है। गर्भाशय की दशा का प्रभाव भी कमर पर पड़ता है। उसके कारण कटिवेदना से लगभग 90 प्रतिशत औरते रोग ग्रसित रहती है।

कमर दर्द के लक्षण, कारण व उपचार

कमर दर्द के लक्षण, कारण व उपचार से पहले मेरूदण्ड (रीढ़) की संरचना को समझना होगा। रीढ़ में सबसे ऊपर गर्दन वाले हिस्से में सात कशेरूकायें होती है। इसके पश्चात वक्ष या छाती वाले हिस्से में बारह कशेरूकायें होती है। पेट के पीछे कमर में पाँच कशेरूकायें होती हैं। इसके उपरान्त कूल्हे के जोड़ों (सन्धियों) वाली पाँच हड्डियां होती हैं। बाद में बहुत महीन चार हड्डियां होती हैं। इस तरह रीढ़ में 33 कशेरूकायें पाई जाती है। प्रत्येक दो कशेरुकाओं के मध्य में रिक्त जगह पर एक गद्दी सी होती है जिसे डिस्क कहते हैं। इसका बाह्य हिस्सा जरा कड़ा एवं केन्द्र का भाग कोमल होता है। ये खासतौर से रीढ़ को लचीला बनाये रखते हैं। कमर, पीठ, गर्दन आदि कोई भी पृष्ठ हिस्से में धक्का लगने पर, मुड़ने पर, टेड़ा होने पर, दबाव व तनाव होने पर यह गद्दियों ही रीढ़ के टूटने फिसलने या खराब होने से बचाव करती हैं। रीढ़ की दो कशेरुकाओं के मध्य बड़ी तादाद में नस-नाड़ियां निकलती हैं जो समस्त काया में जाती है। इन नस-नाड़ियों का रिश्ता रीढ़ के भीतर मौजूद सुषुम्ना नाडी से होता है एवं सुषुम्ना नाड़ी का रिश्ता मस्तिष्क से होता है। आयु के साथ लगातार दबाव एवं तनाव पड़ने से इनमें बदलाव हो जाते हैं।

कमर दर्द के लक्षण

अंग-अंग दुखना, अरुचि, तृष्णा, आलस्य, शरीर में भारीपन, अन ठीक से न पचना एवं शरीर में सुन्नता कमर दर्द के लक्षण है। कमर के हिस्से में अधिक दर्द 1 इसका परिचायक लक्षण है। रोगी को उठते-बैठते. सोते-जागते चलते-फिरते कमर दर्द का अहसास होता है।

कमर दर्द के लक्षण, कारण व कमर दर्द के घरेलू उपचार

कमर दर्द के कारण

  1. गलत तरीके से बैठना, गर्दन का मरोड़ना, अधिक समय तक झुककर पढ़ना तथा काम करना, मांस-पेशियों में ऐंठन, मुड़ने, घूमते नीचे या ऊपर देखते समय या चोट लग जाने से पूरी रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है।
  2. ठंडी प्रकृति के खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन, सर्दी का प्रभाव होना, ठंड से बचाव करने वाले कपड़े न पहनना, नंगे पैर गीले या शीतल फर्श पर चलना, शीतल जल से स्नान करना इत्यादि कारणों से भी कमर दर्द होने लगता है।
  3. डिस्क का खिसकना अथवा उसमें टूट-फूट होना।
  4. मेरूदण्ड की विकृति अथवा कोई व्याधि होना।
  5. वजन अधिक होना।
  6. धातु की कमी होना।
  7. पेट साफ न होना अथवा मल शुद्धि न होने, गैस बनने की वजह से आंत, उदरवात आदि पेट की व्याधियां ।
  8. अस्थि का कमजोर होना, हड्डी क्षय, कैंसर, वृद्ध कशेरूका, सन्धि शोष, सन्धिगत आदि व्याधि होना।
  9. अनियमित मासिक स्त्राव, श्वेत प्रदर व रक्त प्रदर गर्भाशय ग्रीवा, सूजन आदि व्याधि की वजह से भी कमर में दर्द होता है। आंतशक या सुजाक की वजह से भी कमर में दर्द होता है। रजोरोध के पश्चात हार्मोन्स में न्यूनता होने की वजह से भी ऐसा होता है।
  10. सामान्यतः औरतों में कमर दर्द की समस्या की वजह उनके द्वारा ताकत से ज्यादा वजन उठाया जाना होता है।
  11. ऐसी महिलाऐं जिन्हें पहले कभी कटिशूल की परेशानी नहीं हुई हो लेकिन प्रसव के पश्चात इसकी शिकायत करती है तो इसका कारण प्रसव से उत्पन्न दुर्बलता है।
  12. स्त्री रोग सम्बन्धी ऑपरेशन के बाद भी कुछ औरतों को कमर वेदना का सामना करना पड़ता है।
  13. तनाव, चिन्ता, अवसाद भी कमर दर्द का कारण बनते हैं क्योंकि ऐसी दशा में खून का संचरण मस्तिष्क की तरफ बढ़ जाने से रीढ़ की अस्थियों में खून वाहिका नलिकाओं में खून धीमी रफ्तार से आता है और कमर के आस-पास खिंचाव होने लगता है। जो पीड़ा भी देता है।

कमर दर्द के लक्षण, कारण व उपचार

ऐसा माना जाता है कि कमर का दर्द कभी ठीक नहीं होता। दवाई सिर्फ कुछ देर के लिए आराम करती है। लेकिन स्थायी रूप से कमर दर्द को ठीक करना संभव नहीं माना जाता है। लेकिन प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में कुछ आसान उपायों और परहेज से कमर दर्द को समाप्त किया जा सकता है।

आहार-विहार में बदलाव

कमर दर्द होता हो तो मुलायम गद्दे विशेषकर फोम के गद्दे पर नहीं सोना चाहिए। सदैव सख्त बिस्तर पर सोना चाहिए। जमीन पर सो सकें तो अधिक लाभ होगा। यदि आप कामकाजी हैं तो ऑफिस में आराम कुर्सी पर नहीं बल्कि उस कुर्सी पर बैठें जो कमर को सीधा रख सके। ध्यान रखें कि काया को किसी तरह का झटका न लगे, किसी प्रकार का दिमागी तनाव न रखें।

सर्दी से बचाव करना चाहिए एवं कमर को सेंक से गर्मी पहुंचानी चाहिए। शीतल वस्तुएं तथा चावल, दही एवं अचार का सेवन न करें। अगर जकड़न हो तो आसन करने से पहले 20-30 मिनट का सेंक करें। काया को नुकसान करने वाली कठोर मेहनत, रात में जागना, असंयम एवं कुपथ्य से बचना चाहिए। यदि अपच एवं गैस की वजह से पीड़ा होती है तो भोजन में ताजी रोटियाँ, हरी साग-सब्जियां, छिलके वाली मूंग की दाल लें एवं घी, दूध तथा स्निग्ध वस्तुओं का त्याग करें। भोजन निश्चित अवधि पर ही करना चाहिए। शाम का भोजन हल्का एवं सुपाच्य होना चाहिए।

कमर दर्द के घरेलू उपचार

  • सौंठ का महीन चूर्ण 1 ग्राम, मीठा सोडा डेढ़ ग्राम, लोहे के तवे पर भुना सादा नमक 2 ग्राम, सभी को मिलाकर चार खुराकें तैयार कर लें। रात में सोने से पूर्व गर्म पानी अथवा गर्म दूध के साथ सेवन करें।
  • कमर में महानारायण तेल की मालिश करें। लाल मिर्च, खटाई और ठंडे स्वभाव वाली वस्तुओं का प्रयोग न करें। अक्सर सर्दी में महिलाओं को कटि पीड़ा हो जाती है। ऐसी दशा में मैथी भूनकर चूर्ण से लें।
  • पाँच खजूर गुठली रहित उबालकर उसमें पाँच ग्राम मैथी डालकर पीने से कमर दर्द में आराम मिलता है।
  • गर्भावस्था में कमर दर्द की परेशानी सामान्य बात है। इस समय कमर पर भ्रूण का वजन बढ़ जाता है एवं अन्य अंग भी भ्रूण के पोषण में अपना योग देते हैं। ऐसी दशा में इलाज के तौर पर कच्ची हरी सब्जियाँ, सलाद, रस आदि का नियमित सेवन करें। दर्द की कोई गोलियों या इन्जेक्शन का प्रयोग न करें। अक्सर प्रसव के पश्चात महिलाओं को कमर में पीड़ा होने लगती है। इससे निजात पाने के लिए जायफल को पानी में घिसकर तिल के तेल में गर्म करें। जब ठंडा हो जाये तो कमर पर लेप लगायें एवं बंगला पान में जायफल का चूर्ण एक ग्राम डालकर खिलायें। यदि हल्दी को सरसों के तेल में पका लिया जाये और उसे काले नमक में मिलाकर रोटी से खाया जाये तो कमर दर्द ठीक होता है।
  • मिट्टी की पट्टी पेडू व नेत्रों पर लगाने से पेडू की मिट्टी उष्णता को आकर्षित कर लेती है व मल को ढीला करती है जिससे कब्ज का निदान होता है। आंतों में चिपका हुआ मल एनीमा के द्वारा शोधित होता है। कमर में गर्म-ठंडा सेंक करना चाहिए तथा ऊनी व सूती कपड़ा लपेटकर रखना चाहिए। बदन के रोम छिद्रों को खोलने के लिए धूप स्नान तथा वाष्प स्नान से काया में ताजगी एवं नवीनता का अहसास होता है सौम्य कटि स्नान, गर्म-ठंडा कटि स्नान आदि व्याधि को समाप्त करने में अहम भूमिका प्रस्तुत करते हैं।
  • तेल की मालिश करने से भी कमर दर्द में आराम मिलता है। दर्द वाली जगह पर महुए के तेल की मालिश करके रूई को गर्म करके बांध देना चाहिए। इस प्रकार तीस दिन तक नियमित प्रयोग करने से कमर का दर्द ठीक हो जाता है।
  • हींग और सौंठ डालकर गर्म किये हुए तिल के तेल की मालिश करने से कमर का दर्द मिटता है।
  • कमर दर्द से छुटकारा पाने के लिए सरसों का तेल 125 ग्राम, देशी कपूर 30 ग्राम दोनों को मिश्रित कर बोतल में भरकर धूप में रखें। कपूर के पिघल जाने पर औषधि तैयार है। इसे वेदना की जगह पर लगाकर धीरे-धीरे हल्के हाथों से मालिश करें। कमर दर्द में जहां औषधियों का प्रयोग किया जाता है वहीं शारीरिक व्यायाम भी आवश्यक है। यदि मरीज आसन करने में असमर्थ है तो प्रतिदिन खुली हवा में 4-5 कि.मी. टहलने जरूर जायें। तेज चलने से कमर की मांसपेशियों में ताकत बरकरार रहती है एवं रीढ़ की अस्थियां सीधी रहती हैं। तेज चलते समय हाथों को भी आगे-पीछे चलाते रहना चाहिए। इससे कमर दर्द होने की गुंजाइश कम हो जाती है।
  • पैदल चलना, तैराकी एवं साइकिल चलाना लाभप्रद है। लेकिन समतल स्थान पर ही चलाना चाहिए। दूसरे शारीरिक व्यायाम जो उम्र के मुताबिक किये जा सकते हैं. करने की आदत डालें। चक्की चालन, आसन, उत्तानपाद आसन, सुप्तवज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, शलभासन और सर्वांगासन, मत्स्यासन् सूर्य नमस्कार आदि। अधिक दुष्कर भारी या झटके वाले व्यायाम नुकसान पहुंचा सकते हैं आगे झुकने वाले व्यायाम भी अधिक न करें।

कमर दर्द क्यों होता है

कमर दर्द का मुख्य कारण है शरीर से गलत तरीके से काम लेना। जैसे गलत तरीके से बैठना, गलत तरीके से झुकना तथा एक ही स्थिति में बहुत देर तक शरीर को रखना। इसके अलावा शरीर में पोशाक तत्वों मुख्यातया कैल्शियम की कमी से कमर दर्द हो जाता है। इसके अलावा महिलाओं की गर्भाशय संबंधी समस्याओं से भी कमर में दर्द की समस्या हो जाती है।

Healthnia