15 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक, जब मानसून प्रस्थान करता है, तब मौसम में बदलाव होता है. उस समय को संक्रमण काल कहते हैं। इस मौसम में संक्रमण से वायरल बुखार, दिमागी बुखार, डेंगू, दस्त, हैजा आदि विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं, जिनका आधुनिक चिकित्सा शास्त्र में भी सटीक इलाज नहीं है।
आयुर्वेद मतानुसार उपरोक्त रोग का नाम है ‘वात श्लेष्मिक’ या ‘वात बलासक ज्वर’ इसी को सामान्य भाषा में वायरल बुखार कह देते हैं. वायरल बुखार को डेंगू या चिकनगुनिया जैसे नामों से भी जाना जाता है. देखते हैं वायरल बुखार के घरेलू नुस्खे और उपचार.
वायरल बुखार का कारण
वायरल बुखार का मुख्य कारण वायु एवं जल का प्रदूषण है जो कि इस वर्षा ऋतु में दोनों ही दूषित हो जाते हैं। नदियों में बाढ़ के कारण जल दूषित हो जाता है व वायु प्रदूषण व वर्षा के सम्मिलन से दूषित हो जाती है। ज़मीन गीली रहती है. आसमान साफ़ हो जाता है, जिससे तापमान बढ़ता है.
आर्द्रता यानि नमी (Humidity) बढ़ने व साथ में तापमान बढ़ने से वायरस तेजी से पनपते हैं और उपरोक्त रोग फैलते हैं। आयुर्वेद में भी त्रिदोष सिद्धान्त के अनुसार जल तत्व से कफ व वायु से वात दूषित होकर वातश्लेष्मिक ज्वर (वायरल बुखार) की उत्पति होती है।
वायरल बुखार के लक्षण
वायरल ज्वर में शरीर में तेज बुखार, शरीर के अंगों में दर्द, नाक व आंखों से पानी बहना, गले में खराश, सांस का रुकना, भूख न लग्न, पेट में दर्द व सर्दी-जुकाम व खांसी की शिकायत हो जाती है. खून के प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं.
वायरल बुखार की अंग्रेजी दवा
आधुनिक चिकित्सा पद्धति में Paracetamol, Mefenafmic Acid से ज्वर को शान्त कर डॉक्टर की सलाह से कोई Antibiotics दें। Paracetamol + Mefenamic Acid की गोली Meftal Forte नाम से आती है, इसे आधा-आधा दो बार से आधे घंटे के अंतर से दें। ज्वर शांत हो जाएगा। दवा कम से कम 7 दिन अवश्य दें। दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य लें. यदि डॉक्टर सलाह दे तो खून की जांच अवश्य करवाएं.
वायरल बुखार के घरेलू नुस्खे
- वायरल बुखार के रोगी को सूखा व गर्म खाना दें।
- रोगी का घर पर इलाज करने के लिए पहले एक लीटर जल को उबालें. उसमें 2-3 लौंग, 4-5 इलायची, 5-7 तुलसी पत्र, गिलोय और पपीते के पत्ते डालकर उबाल लें. ठंडा कर रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर पर यही जल पिलाते रहें.
- चाय या दूध में हल्दी, तुलसी पत्ते, दालचीनी, लौंग, काली मिर्च उबाल कर देने से लाभ होगा।
- 5 ग्राम गिलोय पाउडर को 150 ग्राम पानी में उबाल लें. जब 50 ग्राम रह जाये तो छान लें. इस जल के साथ 2 ग्राम सौंठ (Ginger Powder) का सेवन करें. लाभ होगा. गिलोय के जल में एक चम्मच शहद भी मिला सकते हैं.
- यदि तेज बुखार हो तो बुखार हो तो सिर पर पानी की पट्टियां रखवायें।
- 10-15 तुलसी के पत्ते और 10-15 ग्राम साफ़ धनिये के पत्ते या धनिये के चूर्ण को 10 मिनट तक 1 लीटर पानी में उबाल लें. इस पानी को कमरे के तापमान पर ठंडा कर लें. 10-10 मिनट के अन्तराल पर रोगी को पिलाते रहें.
वायरल बुखार की देसी(आयुर्वेदिक) दवा | वायरल बुखार का रामबाण इलाज
वायरल बुखार के रोगी को सितोपलादि चूर्ण, संजीवनी वटी, लक्ष्मी विलास रस, गोदन्ति भस्म, प्रवाल भस्म, कपर्द भस्म की सामान मात्रा में मिश्रण कर गुनगुने पानी से दें. शहद के साथ लेने पर लाभ होता है।
बनफ्शादि क्वाथ शहद में मिलाकर दें। साथ में अमर सुन्दरी वटी दें। प्रातः सायं संशमनी वटी उबले हुए उसी पानी से दें, लाभ होगा। यह वायरल बुखार का रामबाण इलाज है.
इसके अलावा वायरल बुखार में गुडूची या गिलोय, सौंठ, बहुनिम्ब या कालमेघ, पाठा, तुलसी, नीम, हरीतकी, अमलकी आदि मुख्य असरदार औषधियां हैं.
वायरल बुखार कितने दिन रहता है
वायरल बुखार 3 से 10 दिन तक रहता है.
वायरल बुखार में क्या खाना चाहिए
वायरल बुखार में चीकू, अनार, पपीता, सेब, बब्बू बोशा, ड्रैगन फ्रूट खाना चाहिए और नारियल पानी, बकरी का दूध साथ में लेना चाहिए. शीतल दूध व मिश्री का सेवन करना चाहिए. गर्म व सूखा भोजन दें. पीने के लिए गर्म पानी ही दें. पीने में नामक चीनी का घोल या ORS सर्वोत्तम है.
वायरल बुखार में क्या नहीं खाना चाहिए
बाज़ार का खाना बिलकुल बंद कर दें. ठंडा पानी बिलकुल नहीं देना चाहिए.