पानी से जोड़ों की सूजन और गठिया को जड़ से खत्म करने के उपाय

जोड़ों की सूजन यानी गठिया बहुत ही भयानक रोग है. यह रोगी को बहुत पीड़ा देता है और लगभग पंगु बना देता है. गठिया रोग पहले जोड़ों से शुरू होता है. यदि इसका आरंभ में ही उपचार नहीं किया गया, तो यह रोग आगे चलकर रोगी के पूरे या आधे शरीर को बेकार कर देता है. रोगी कामकाज के योग्य नहीं रह जाता.

गठिया रोग की पहचान और लक्षण

गठिया रोग यद्यपि अक्सर नमी वाले देशों में अधिक पाया जाता है. लेकिन पूरे विश्व में गठिया के रोगी पाए जाते हैं. इस रोग में शरीर के जोड़ों के चरों और स्नायुओं में सूजन और दर्द होने लगता है. यही इस रोग की प्रथम पहचान है.

जैसे-जैसे जलन बढती जाती है, वैसे-वैसे जोड़ हिलने-डुलने में असमर्थ हो जाते है. मांसपेशियों और जोड़ों के स्नायुओं में तनाव और सिकुडन से दर्द अधिक बढ़ जाता है. जैसे-जैसे जकड़न बढती जाती है, दर्द भी बढ़ता जाता है. शरीर के जोड़-जोड़ में पीड़ा होने लगती है. जरा-सा हिलने पर ही जोड़ों का दर्द असह्य हो जाता है. इस पीड़ा को ही गठिया कहते हैं.

यही गठिया धीरे-धीरे बढ़कर प्रायः कोमल हड्डियों पर आक्रमण करती है. इससे ये कोमल हड्डियाँ या तो विकृत हो जाती हैं, या फिर बिलकुल ख़त्म हो जाती हैं. इसका परिणाम यह होता है कि जोड़ बिलकुल अकड़ जाता है और हिलना-डुलना बंद कर देता है. हड्डियों के चिपकने से दर्द तो दूर हो जाता है, किन्तु जोड़ हमेशा के लिए बिलकुल बेकार हो जाता है.

जोड़ों की सूजन और गठिया रोग क्यों होता है

जोड़ों की सूजन या गठिया रोग एक दिन में नहीं होता. स्वस्थ व्यक्तियों के खान-पान की पुरानी आदतें धीरे-धीरे इस रोग का कारण बनती हैं. जो लोग समय रहते गठिया को नहीं पहचान पाते, या लापरवाही करते हैं, वे गठिया रोग से ग्रसित होते हैं.

लोग शरीर में मांस-पेशियों के सामान्य दर्द, जोड़ों की सामान्य अकडन, कूल्हे या कमर के दर्द को नज़रअंदाज कर देते हैं. ऐसी अवस्था में लोग खाने-पीने का परहेज नहीं करते और दर्द के लिए दर्द-निवारक दवाइयों पर निर्भर रहने लगते हैं. यह स्थिति धीरे-धीरे गठिया रोग का कारण बनती है.

इस रोग का प्रमुख कारण शरीर में गंदगी जमा होना है. गलत खान-पान और रहन सहन के कारण शरीर अन्दर से पूरी तरह साफ़ नहीं हो पाता, और शरीर में जगह-जगह गन्दगी ज़मा होने लगती है.

भोजन में असंतुलन जैसे अधिक मात्रा में गेहूं, चीनी, नामक, चाय, कॉफ़ी, शराब, धूम्रपान, नींद की कमी, फ़ास्ट-फ़ूड का अधिक सेवन या अधिक चिंता से शरीर में अम्लता बढ़ जाती है. शरीर से गंदगी पूरी तरह से साफ़ नहीं हो पाती. इसी गंदगी के कारण शरीर के पोषक तत्व दूषित होने लगते हैं.

यह गंदगी धीरे-धीरे पूरे शरीर की मांस-पेशियों और खून में भी मिल जाती है. इस कारण शरीर में वात कुपित हो जाती है. वात कुपित होने से प्रारंभ में शरीर में जलन व दर्द पैदा होता है. इसके बाद जोड़ों में दर्द होना शुरू हो जाता है.

यदि समय रहते वात का इलाज न किया गया तो शरीर में कमजोरी बढती जाती है. परिणाम स्वरुप गठिया का रोग पूरे वेग से शरीर पर कब्ज़ा कर लेता है.

गठिया बाय का रामबाण इलाज

गठिया रोग में अधिकतम लोग दर्द निवारक गोलियां लेना शुरू कर देते हैं. अधिक रोग होने पर रोगी अंग का ऑपरेशन भी किया जाता है. लेकिन दर्द निवारक दवाइयों और ऑपरेशन द्वारा गठिया अस्थायी तौर पर दबा दिया जाता है. लेकिन थोड़े समय बाद इसके लक्षण पुनः दिखने लगते हैं.

जोड़ों की सूजन और गठिया रोग से लड़ने की शक्ति हमारे शरीर में ही है. यदि हम अपने शरीर को उचित अवसर दें, तो हमारा शरीर ही गठिया को जड़ से ख़त्म कर सकता है. इसके लिए सबसे पहले रहन-सहन और खान-पान की बुरी आदतों का त्याग करना आवश्यक है.

सबसे पहले उपवास से शरीर की गंदगी को दूर करने की प्रक्रिया शुरू करें. इसके बाद खान-पान पर नियंत्रण कर अपने शरीर की स्थिति के अनुरूप की खान-पान अपनाएं. इससे धीरे धीरे बिगड़ी हुई वात ठीक होने लगेगी.

उपवास से गठिया का इलाज

उपवास से पूरे शरीर से गंदगी निकालने के कारण शरीर के पोषक तत्वों की गुणवत्ता में सुधार होने लगता है. इसके बाद शरीर की मांस-पेशियों में जलन और दर्द तेजी से कम होने लगते है. उपवास से शरीर अन्दर से मजबूत बन जाता है, जिससे जोड़ों में जलन, सूजन और विजातीय तत्वों की जमावट दूर हो जाती है. धीरे-धीरे अकड़े हुए जोड़ ढीले हो जाते हैं और जोड़ों का दर्द भी कम हो जाता है.

उपवास से गठिया का इलाज कितने दिन में हो जाता है

उपवास से गठिया के इलाज में लगने वाला समय रोगी की आयु, वजन, बीमारी की स्थिति, बीमारी की आयु, जोड़ों की खराबी की मात्र, जोड़ों की जकड़न की मात्र, खान-पान सम्बन्धी पुराने आदतें, शरीर में ताकत की स्थिति और शरीर में अन्य बीमारियों की स्थिति पर निर्भर करता है.

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