पार्किन्सन रोग Parkinson Disease in hindi यानी कम्पवात एक अदृश्य रोग है. इसकी शुरुआत शरीर में कब हो जाती है, पता भी नहीं चलता. लक्षणों जब जल्दी जल्दी दिखने लगते हैं, तब पार्किन्सन का पता चलता है. कभी कभी लोग पार्किन्सन रोग Parkinson Disease के लक्षण दिखने से तुरंत पहले होने वाले रोग को पार्किन्सन का कारण मानने लगते है. लेकिन असल में पार्किन्सन रोग Parkinson Disease कब शुरू हुआ, इसका अंदाज़ा कोई नहीं लगा सकता.
पार्किन्सन रोग का कारण Cause of Parkinson’s Disease in Hindi
मस्तिष्क के बेसल गैंगलिआन भाग में डोपामिन नामक रसायन स्वतः बनता है. यह रसायन शरीर की मांस पेशियों को नियंत्रण में रखने में सहायता करता है. पार्किन्सन रोग Parkinson’s Disease में मस्तिष्क डोपामिन नामक रसायन पैदा करने वाली कोशिकाएं नष्ट होने लगती है. इस कारण मस्तिष्क का शरीर की मांस पेशियों से नियंत्रण छूटने लगता है और हाथ पैरों में कम्पन शुरू हो जाता है.
डोपामिन रसायन बनाने वाली कोशिकाओं के नष्ट होने के कई कारण हैं. किसी गंभीर बीमारी, वृद्धावस्था, पौष्टिक आहार न लेना या खानपान में लापरवाही से ये कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं.
पार्किन्सन रोग के लक्षण Symptoms of Parkinson’s Disease in Hindi
पार्किन्सन रोग का पता इसके लक्षणों से ही लगता है. पार्किन्सन रोग जब बढ़ता है तो मरीज़ के अंगों में कम्पन होने लगता है. रोगी के शरीर का संतुलन गड़बड़ाने लगता है, जिससे रोगी काम करने, चलने फिरने, हाथों में प्लेट-चम्मच पकड़ने, सीढियां चढ़ने आदि में अक्षम होने लगता है. चेहरे पर भाव आने बंद हो जाते हैं और चेहरा सख्त हो जाता है और याददाश्त कमज़ोर होने लगती है. पार्किन्सन के रोगी को अन्य रोग जैसे कब्ज़, अधिक पसीना आना, पेशाब न आना आदि भी हो जाते हैं.
पार्किन्सन रोग की आधुनिक चिकित्सा Modern Treatment of Parkinson’s Disease in Hindi
पार्किन्सन रोग को सीटी स्कैन, एमआरआई (MRI) आदि से डायग्नोस किया जाता है. कभी कभी पार्किन्सन की पहचान करने के लिए रोगी के शरीर के लक्षणों की बारीकी से जांच की जाती है. आधुनिक चिकित्सा में रोगी को कई ऐसी दवाएं दी जाती हैं, जो मस्तिष्क में डोपामिन रसायन के उत्पादन को बढ़ावा देती है. लेकिन इन दवाओं का प्रयोग जीवन भर करना पड़ता है.
पार्किन्सन रोग दूर करने के लिए आयुर्वेद के तीन चरण 3 steps of Ayurved to cure Parkinson’s Disease
आयुर्वेद के अनुसार सिर्फ अपनी दिनचर्या और खानपान को बदलकर पार्किन्सन रोग Parkinson’s Disease से मुक्ति पाई जा सकती है. इसमें में सबसे महत्वपूर्ण के ऋतु के अनुसार दिनचर्या और खानपान बदलना सबसे बड़ा कारक है. आयुर्वेद के निम्न 3 चरणों में पार्किन्सन रोग को दूर किया जा सकता है –
पौष्टिक व संतुलित आहार – भोजन संतुलित व पौष्टिक होना चाहिए, जिसमे प्रोटीन, विटामिन और फाइबर की मात्रा अधिक हो. साथ ही अधिक पानी, ताजे फल सब्जियां, ताज़ा और गर्म भोजन व पुदीना, अदरक और लहसुन की चटनी का प्रयोग करें.
योग-व्यायाम-प्राणायाम – नित्य हलके व्यायाम और प्राणायाम करने चाहिए, जो शरीर की मांस पेशियों का तनाव दूर कर शक्ति प्रदान कर सकें
प्राच्य आयुर्वेदिक औषधियां – बल्य यानी बलवर्द्धक जैसे आयु प्राइम, मेध्यरसायन यानी स्मरण शक्ति वर्द्धक और वातशामक यानी वात के प्रभावों को नष्ट करने वाली औषधियों का प्रयोग.