भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही इश्वर उपासना और वातावरण की शुद्धि के लिए यज्ञ और हवन की प्रक्रिया अपनाई जाती रही है.
वर्तमान समय में आम जनमानस में हवन और यज्ञ के प्रति जागरूकता बढ़ने लगी है. लेकिन हवन की प्रक्रिया की सही जानकारी न होने के कारण लोग सही तरह से हवन नहीं कर पाते.
इसलिए आज हम इस लेख में संपूर्ण हवन विधि के बारे में बताएँगे. साथ ही हवन सामग्री बनाने की विधि और हवन कुंड बनाने की विधि भी बताएँगे..
हवन | Havan
हवन अथवा यज्ञ भारतीय परंपरा अथवा हिंदू धर्म में शुद्धीकरण की क्रिया है। हवन द्वारा कुण्ड में अग्नि के माध्यम से ईश्वर की उपासना करते हुए यज्ञ किया जाता है. हवन को होम, यज्ञ या अग्निहोत्र भी कहा जाता है.
हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करने के पश्चात इस पवित्र अग्नि में फल, शहद, घी, लकड़ी इत्यादि पदार्थों की आहुति प्रमुख होती है. वायु प्रदूषण को कम करने के लिए भारत देश में विद्वान लोग यज्ञ किया करते थे और तब हमारे देश में कई तरह के रोग नहीं होते थे ।
शुभकामना, स्वास्थ्य एवं समृद्धि इत्यादि के लिए भी हवन किया जाता है। हवन और यज्ञ की अग्नि किसी भी पदार्थ के गुणों को कई गुना बढ़ा देती है ।
हवन अथवा अग्निहोत्र के उद्देश्य
- वायुमंडल को शुद्ध करना
- वातावरण में उपस्थित हानिकारक बैक्टीरिया को समाप्त करना
- वायुमंडल को सुगन्धित और सुवासित करना
पदार्थ विज्ञान के अनुसार अग्नि में डाले हुए पदार्थ कभी नष्ट नहीं होते। अपितु सूक्ष्म रूप में रूपांतरित होकर लाखों गुना शक्तिशाली हो जाते हैं। उदाहरण के लिए –
- शक्कर या चीनी यदि अग्नि में डाली जाए तो टीबी के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
- जायफल, गुग्गुलु और लौंग के मिश्रण की अग्नि में आहुति देने से मच्छरों का प्रकोप खत्म हो जाता है।
- मुनक्का, किशमिश आदि सूखे मेवे की आहुति अग्नि में देने से टाईफाइड जैसे फेफड़ों के रोगों के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
हवन सामग्री बनाने की विधि | संपूर्ण हवन विधि | Havan Samagri
आमतौर पर लोगों का यही प्रश्न रहता है कि हवन सामग्री में क्या-क्या डालें? लीजिए हम आपको बताते हैं कि हवन सामग्री में क्या-क्या डालें?
हवन करने से पहले निम्न हवन सामग्री Havan Samagri की व्यवस्था कर लें. हवन सामग्री में 4 प्रकार के पदार्थ प्रयोग किये जाते हैं –
- सुगंधित पदार्थ
- पुष्टिकारक पदार्थ
- मिष्ट (मीठे पदार्थ)
- रोग नाशक पदार्थ
1. सुगंधित पदार्थ – कस्तूरी, केसर, चंदन, कपूर, जटामांसी, इलायची, तुलसी, जायफल, जावित्री, कपूर, कपूरकचरी, गुलाब के फूल, नागरमोथा, बालखंड, वनकचूर, सुगंधवाला, दालचीनी आदि
2. पुष्टिकारक पदार्थ – शुद्ध घी, दूध, फल, कांड, चावल, जाऊ, तिल, नारियल आदि
3. मिष्ट (मीठे पदार्थ) – खांड, शक्कर, शहद, किशमिश, छुहारा, गोल, तालमखाना आदि
4. रोगनाशक पदार्थ – गिलोय, सोमलता, गुग्गुलु, लौंग आदि
पदार्थों की उपलब्धता के आधार पर हवन सामग्री बनाने की विधि (havan samagri banane ki vidhi), हवन सामग्री की सूची और हवन सामग्री की मात्रा नीचे दी गयी है. यह सबसे अच्छी हवन सामग्री है-
1 | नारियल | 1 | 17 | कुशा | |
2 | हवन सामग्री | 1-5 किलो (आवश्यकतानुसार) | 18 | दुर्वा (दूब) | |
3 | पंचपल्लव | आम का पत्ता, पीपल का पत्ता, बरगद (बड) का पत्ता, जामुन का पत्ता, गूलर का पत्ता, | 19 | पंचगव्य | गौमूत्र, गौ का गोबर, गौ का घी, गौ का दही, गौःका दूध। |
4 | धूपबत्ती | 20 | गंगाजल | ||
5 | अगरवबत्ती | 21 | सूखी हल्दी | 50 ग्राम | |
6 | कलावा (मोली) | 22 | अबीर और गुलाल-लाल/हरा/पीला | 50 ग्राम | |
7 | सुपारी | 9 | 23 | लौग | 10 ग्राम |
8 | पान | 5 | 24 | पीली सरसों अथवा काली सरसों | 50 ग्राम |
9 | बताशे | 250 ग्राम | 25 | जौ | 1.5 किलो (आवश्यकतानुसार) |
10 | पंचफल | 5 (ऋतुफल) | 26 | तिल | 2 किलो (आवश्यकतानुसार) |
11 | पंचमेवा | 200 ग्राम | 27 | शक्कर अथवा चीनी अथवा बूरा | 250 ग्राम (आवश्यकतानुसार) |
12 | रोली या सिन्दूर | 10 ग्राम | 28 | कर्पूर | 20 ग्राम |
13 | चन्दन चूरा | 50 ग्राम | 29 | शुद्ध घी | 1 किलो (आवश्यकतानुसार) |
14 | कलश (मिट्टी का) अथवो लोटा | 1 | 30 | वेदी के लिए मिट्टी या रेत (बालु) | |
16 | आम की टहनी | 31 | यज्ञोपवीत | 2 | |
16 | बन्दन वार | 32 | रुई | 5 ग्राम की । |
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हवन कुंड बनाने की विधि | हवन कुंड डिजाइन | हवन कुंड का नक्शा
हवन कुंड का अर्थ है हवन की अग्नि का निवास-स्थान। प्राचीन समय में हवन कुंड की डिज़ाइन चौकोर होती थी. उनका आकार विशाल होता था. हवन कुंड बनाने की विधि ऐसी होती थी और हवन कुंड का नक्शा इस प्रकार बनाया जाता था, जिससे भरपूर समिधाएँ, घी और सामग्री आहूत की जा सके.
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बहुत अधिक मात्रा में समिधाएँ, घी और सामग्री हवन कुंड में डालने के कारण अग्नि की प्रचण्डता भी अधिक रहती थी। उसे नियंत्रण में रखने के लिए भूमि के भीतर अधिक जगह रहना आवश्यक था। उस स्थिति में हवन कुंड का नक्शा चौकोर ही उपयुक्त होता था।
परन्तु आज समिधा, घी, सामग्री सभी में अत्यधिक मँहगाई के कारण काफी कम मात्रा में आहूत पड़ती है। इसलिए आज की स्थिति में हवन कुंड का नक्शा इस प्रकार बनाना चाहिए कि बाहर से चौकोर रहें, लम्बाई, चौड़ाई गहराई समान हो। पर उन्हें भीतर तिरछा बनाया जाय।
लम्बाई, चौड़ाई चौबीच-चौबीस अँगुल हो तो गहराई भी 24 अँगुल तो रखना चाहिये पर उसमें तिरछापन इस तरह देना चाहिये कि पेंदा छः-छः अँगुल लम्बा चौड़ा रह जाय।
इस प्रकार के बने हुए कुण्ड समिधाओं से प्रज्ज्वलित रहते हैं, उनमें अग्नि बुझती नहीं। थोड़ी सामग्री से ही कुण्ड ऊपर तक भर जाता है और अग्निदेव के दर्शन सभी को आसानी से होने लगते हैं।
संपूर्ण हवन विधि में हवन में कुंडों की संख्या | Number of Havan Kund
हवन कुण्डों की संख्या अधिक बनाना इसलिए आवश्यक होता है कि अधिक व्यक्ति यों को कम समय में निर्धारित आहुतियाँ दे सकना सम्भव हो, एक ही कुण्ड हो तो एक बार में नौ व्यक्ति बैठते हैं।
यदि एक ही हवन कुण्ड होता है, तो पूर्व दिशा में वेदी पर एक कलश की स्थापना होने से शेष तीन दिशाओं में ही याज्ञिक बैठते हैं।
प्रत्येक दिशा में तीन व्यक्ति एक बार में बैठ सकते हैं। यदि कुण्डों की संख्या 5 हैं तो प्रमुख कुण्ड को छोड़कर शेष 4 पर 12-12 व्यक्ति भी बिठाये जा सकते हैं।
संख्या कम हो तो चारों दिशाओं में उसी हिसाब से 4, 4 भी बिठा कर कार्य पूरा किया जा सकता है। यही क्रम 9 कुण्डों की यज्ञशाला में रह सकता है।
प्रमुख कुण्ड पर 9 और शेष 8 पर 12×8 अर्थात 96+ 9 =105 व्यक्ति एक बार में बैठ सकते हैं। संख्या कम हो तो कुण्डों पर उन्हें कम-कम बिठाया जा सकता है।
हवन समिधा | Samidha
समिधा Samidha का अर्थ है वह लकड़ी जिसे जलाकर यज्ञ किया जाए अथवा जिसे यज्ञ में डाला जाए. समिधा के लिए आम की लकड़ी, पीपल को लकड़ी या ढाक की लकड़ी सबसे उत्तम होती है. नवग्रह पूजन में ग्रहों के अनुसार समिधा का प्रयोग किया जाता है.
ततोऽर्कं पलाश खदिराया मार्ग पिप्पलोदुम्बर शमी दूर्वां कुशदिः नवसमिधो धृता युक्ताः क्रमेण रवि, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु केतुभ्यो नवग्रहेभ्योवह्वौ जुहयात्।
अर्थात सूर्य की पूजा में मदार की समिधा, चन्द्रमा की पूजा में पलाश की समिधा, मंगल की पूजा में खैर की समिधा, बुध की पूजा में चिड़चिडा की समिधा प्रयोग होनी चाहिए.
बृहस्पति की पूजा में पीपल की समिधा, शुक्र की पूजा में गूलर की समिधा, शनि की पूजा में शमी की समिधा, राहु की पूजा में दूर्वा की समिधा और केतु की पूजा में कुशा की समिधा प्रयोग करने की बात कही गई है।
इनके अतिरिक्त देवताओं के लिए पलाश वृक्ष की समिधा जाननी चाहिए।
सभी प्रकार की समिधा के अलग अलग लाभ हैं. मदार की समिधा रोग को नाश करती है. पलाश की समिधा सब कार्य सिद्ध करने वाली है.
पीपल की समिधा प्रजा (सन्तति) का कल्याण कराने वाली होती है. गूलर की समिधा स्वर्ग देने वाली, शमी की समिधा पाप नाश करने वाली, दूर्वा की समिधा दीर्घायु करने वाली और कुशा की समिधा सभी मनोरथ को सिद्ध करने वाली होती है।
यह भी देखें :
आटे से चोकर को निकालने के नुकसान
वात-पित्त-कफ प्रकृति के अनुसार आहार
ऋतुओं के अनुसार समिधा
ऋतुओं के अनुसार समिधा के लिए इन वृक्षों की लकड़ी विशेष उपयोगी सिद्ध होती है।
वसन्त में शमी की समिधा से, ग्रीष्म ऋतु में पीपल की समिधा से, वर्षा में ढाक की समिधा से, शरद ऋतु में पाकर या आम की समिधा से, हेमन्त ऋतु में खैर की समिधा से, शिशिर ऋतु में गूलर या बड की समिधा से हवन करना चाहिए.
हवन के लिए समिधा का चुनाव करते समय ध्यान रखना चाहिए कि लकड़ियाँ सड़ी घुनी, गन्दे स्थानों पर पड़ी हुई, कीडे़-मकोड़ों से भरी हुई न हों.
संपूर्ण हवन विधि के लिए हवन सामग्री | Havan Samagri
हवन सामग्री Havan Samagri, आहुति अथवा हव्य अथवा होम-द्रव्य वह जल सकने वाला पदार्थ है जिसे यज्ञ (हवन/होम) की अग्नि में मन्त्रों के साथ डाला जाता है।
इस हवन सामग्री में सुगंध देने वाली वनस्पतियां जैसे छड़ीला, कपूर,काचरी, बालछड़, हाऊ बेर, सुगंध बरमी, तोमर बीज, पानड़ी, नागर मोथा, बावची, कोकिला और औषधीय वनस्पतियां जैसे ब्राह्मी, तुलसी, गिलोय, शतावर, अश्वगंधा, मुलेठी, पुनर्नवा, दालचीनी, पिप्पली, हरड़, बहेड़ा, अपामार्ग, भूमि आंवला, भृंगराज आदि का प्रयोग होता है.
हवन सामग्री बनाने की विधि | पूजन सामग्री | हवन सामग्री की लिस्ट
एक द्विसिचतुभगि ब्रीही-आज्य-यवस्तिलैः। चरु होमे प्रकर्तव्यम् यथा श्रद्धा च शर्कराः॥
इस श्लोक के अनुसार तिल से आधे चावल चावल से आधे जौ, जौ से आधा शक्कर या चीनी, बूरा। यथेष्ठ घी तथा पंचमेवा यह सब हवन सामग्री मे मिलायें तो हवन सामग्री (हवन करने के लिए तैयार हो जाती है) ।
उदहारण के लिए चावल 0.5 किलो, घी 1 किलो, जौ 1.5 किलो, शक्कर 250 ग्राम, पचमेवा 200 ग्राम । इस प्रकार के अनुपात मे सामग्री लेकर मिला लें । यह हवन करने के लिए सामग्री तैयार हो जाती है।
हवन सामग्री हो सके तो अपने घर पर ही बनानी चाहिए. इसके लिए ऋतु अनुसार हवन सामग्री की सूची हवन सामग्री की लिस्ट pdf के लिंक में दी गयी है. यहाँ से डाउनलोड कर सकते है.
सूची में दी गयी सभी सुखाने योग्य वस्तुओं को सुखाकर ठीक से कूट लेना चाहिए और उसमें अन्य वस्तुएं मिला लेनी चाहिए.
हवन सामग्री के लिए औषधियां खरीदते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि दुकानदार सड़ी-गली, घुनी हुई, बहुत दिन की पुरानी, हीन वीर्य अथवा किसी की जगह उसी शकल की दूसरी सस्ती चीज आपको न दे दे.
सबसे अच्छी हवन सामग्री कौन सी है
यदि आप घर पर हवन सामग्री नहीं बना सकते तो पतंजलि हवन सामग्री सबसे अच्छी है. इसको मंगाकर प्रयोग कर सकते हैं.
किसी भी ऋतु में सामान्य हवन सामग्री
दैनिक या मासिक होम में सामान्यतः नित्य हवन सामग्री का प्रयोग किया जाता है जिसमें जौ (यव), अक्षत, घी, शहद, तिल, पंचमेवा, एवं ऋतुफलों को काटकर प्रयोग किया जाता है इनकी मात्राएं निर्धारित होती है।
हवन के लिए स्रुवा
वह चम्मच-नुमा बर्तन जिसमें (घी इत्यादि) हवन-सामग्री भरकर हवन-कुंड में आहुति दी जाती है। यह लकड़ी का भी हो सकता है एवं धातु का भी. इसके अतिरिक्त हाथों से भी आहुतियां दी जा सकती हैं।
आहुतियां देते समय हाथों की मुद्रा
हवन करते समय किन-किन उँगलियों का प्रयोग किया जाय, इसके सम्बन्ध में मृगी और हंसी मुद्रा को शुभ माना गया है। मृगी मुद्रा वह है जिसमें अँगूठा, मध्यमा और अनामिका उँगलियों से सामग्री होमी जाती है। हंसी मुद्रा वह है, जिसमें सबसे छोटी उँगली कनिष्ठका का उपयोग न करके शेष तीन उँगलियों तथा अँगूठे की सहायता से आहुति छोड़ी जाती है।
शान्तिकर्मों में मृगी मुद्रा, पौष्टिक कर्मों में हंसी और अभिचार कर्मों में सूकरी मुद्रा प्रयुक्त होती है। यज्ञ करते समय इनका विशेष ध्यान रखें
संपूर्ण हवन विधि
सम्पूर्ण हवन विधि के लिए सम्पूर्ण हवन विधि pdf डाउनलोड करें
प्रायश्चित
होम- जप आदि करते हुए, आपन वायु निकल पड़ने, हँस पड़ने, मिथ्या भाषण करने बिल्ली, मूषक आदि के छू जाने, गाली देने और क्रोध के आ जाने पर, हृदय तथा जल का स्पर्श करना ही प्रायश्चित है।
पूर्णाहुति मंत्र क्या है?
हवन के अंत में इस पूर्णाहुति मंत्र को बोला जाता है –
ओम पूर्णमद : पूर्णमिदम् पूर्णात पुण्य मुदज्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल बिसिस्यते स्वाहा।
हवन में तिल चावल जौ का अनुपात कितना होना चाहिए
हवन के लिए यदि 5 किलो सामग्री तैयार की जा रही है तो आधा किलो घी, 1 किलो चावल, 1.5 किलो जौ और 2 किलो तिल डालना चाहिए। अपनी इच्छानुसार घी को आधा किलो से बढ़ाकर 1 किलो भी किया जा सकता है।