vata pitta kapha in hindi, vata pitta and kapha in hindi वात-पित्त-कफ : प्राचीन काल से ही पूरे विश्व में माना जाता है कि संसार में सभी जीवित प्राणी 5 तत्त्वों से मिलकर बने हैं. ये 5 तत्त्व हैं पृथ्वी, अग्नि, जल आकाश और वायु. आयुर्वेद के अनुसार आकाश शरीर के खाली स्थान को, जल शरीर की तरलता को, अग्नि शरीर की गर्मी और ऊर्जा को,धरती शरीर के मांस पदार्थों और वायु शरीर के अवयवों जैसे खून, मल इत्यादि की गति को इंगित करता है.
वात-पित्त-कफ क्या है | What is vata pitta kapha in hindi
पृथ्वी, अग्नि, जल आकाश और वायु – इन पाँचों पदार्थों की परस्पर क्रिया से शरीर के 3 गुण – वात-पित्त-कफ बनते हैं. ये तीनों गुण शरीर की प्रत्येक कोशिका में पाए जाते हैं. शरीर में वात, पित्त और कफ सामान मात्रा में होते हैं. जब तक इन गुणों में समन्वय बना रहता है, तब तक स्वास्थ्य भी ठीक रहता है. यदि इन गुणों में समन्वय कम हो जाये, या कोई एक गुण कम या अधिक हो जाये तो उसे दोष कहते हैं. तीनो गुणों के शरीर में अलग अलग काम होते हैं.
पित्त
पित्त के द्वारा हमारे शरीर में गर्मी रहती है, तथा भोजन का पाचन होता है.
वात
हमारे शरीर में सारी गतियाँ वात के कारण होती है. जैसे खून का दौड़ना, सांस लेना, शरीर के अंगों और आँतों आदि का कार्य करना इत्यादि.
कफ
कफ हमारे शरीर को द्रव्यमान या भार प्रदान करता है व हमारे शरीर को जोड़े रखता है.
वात-पित्त-कफ प्रकृति | vata pitta and kapha prakriti
मनुष्य और सभी जीवित प्राणियों की प्रकृति उसके गर्भ धारण के समय ही निर्धारित हो जाति है, और जीवन भर बनी रहती है. प्रकृति का अर्थ है तीनों गुणों की कमी या अधिकता. प्रकृति के अनुरूप ही हमारा रहन-सहन, खान-पान और व्यवहार होता है. यदि हम अपनी प्रकृति को जान लें तो हम उसके अनुसार खान-पान अपना सकते हैं और रोग मुक्त रह सकते हैं.
कैसे जानें अपनी प्रकृति | वात पित्त कफ की पहचान कैसे करें | vata pitta kapha test
वात पित्त कफ की पहचान कैसे करें, इसके लिए लिए हम नीचे 3 सारणियाँ (tables) दे रहे हैं. यह सारणियाँ शरीर में vata pitta kapha test में मदद करेंगी. इन सारणियों में शरीर की वर्तमान अवस्था से सम्बंधित कुछ वक्तव्य हैं. इन वक्तव्यों को पढ़ें और उन वक्तव्यों को 1 से 6 तक कोई भी अंक दें. यदि वह वक्तव्य आपकी वर्तमान अवस्था पर लागू नहीं होता है, तो उसको शून्य (0) अंक दें. यदि कुछ हद तक लागू होता है, तो अपनी अवस्था के अनुसार 1 से 5 तक कोई भी अंक दें. और यदि पूरा लागू होता है तो 6 अंक दें. इन प्रश्नावलियों से प्राप्त निष्कर्ष किसी अस्वस्थ व्यक्ति के लिए उसका स्वास्थ्य सुधारने के लिए उपयोगी हो सकते हैं. वहीँ स्वस्थ व्यक्ति के लिए वात-पित्त-कफ को सम कर अपनी दैनिक चर्या और खान-पान को सुधार कर 100 वर्ष की आयु तक स्वस्थ रहने के उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं. इन प्रश्नावलियों के विश्लेषण इस लेख के अगले भाग वात-पित्त-कफ प्रकृति के लक्षण और बीमारियाँ में दिए जायेंगे. समुचित लाभ के लिए तीनों प्रश्नावलियों को भरकर ही विश्लेषण को देखें.
सारणी – 1
क्र.सं. | वर्तमान अवस्था के अनुसार वक्तव्य | लागू नहीं | कुछ हद तक | हमेशा |
1. | मैं काम बहुत जल्दी करता हूँ | |||
2. | मुझे चीज़ें जल्दी समझ में नहीं आतीं और जल्दी याद नहीं आतीं | |||
3. | मैं प्रकृति से जोशीला और जिंदादिल हूँ | |||
4. | मैं हमेशा नई चीज़ें जल्दी सीख लेता हूँ | |||
5. | मैं दुबला पतला हूँ और मेरा वजन जल्दी नहीं बढ़ता | |||
6. | मैं हमेशा बहुत तेज और जल्दी चलता हूँ | |||
7. | मुझे गैस और कब्ज़ की शिकायत आसानी से हो जाती है. | |||
8. | मुझे निर्णय लेने में दिक्कत होती है | |||
9. | मेरे हाथ-पर अक्सर ठन्डे रहते हैं | |||
10. | मुझे अक्सर बेचैनी और चिंता हो जाती है | |||
11. | मुझे अधिक ठण्ड बर्दाश्त नहीं होती | |||
12. | मैं जल्दी-जल्दी बोलता हूँ और लोग समझते हैं कि मैं बातूनी हूँ | |||
13. | मैं भावुक प्रवृत्ति का हूँ और मेरा मिजाज़ जल्दी बदल जाता है | |||
14. | मुझे अक्सर नींद ठीक से नहीं आती और रात भर गहरी नींद नहीं सो पाता | |||
15. | मेरी त्वचा बहुत रूखी रहती है, खासकर जाड़े में | |||
16. | मेरा दिमाग बहुत क्रियाशील, बेचैन और कल्पनाशील रहता है | |||
17. | मैं बहुत जल्दी उत्तेजित हो जाता हूँ | |||
18. | मेरी गतिविधि जेज और क्रियाशील होती है और मुझे शक्ति के आवेश आते हैं. | |||
19. | मेरी खाने और सोने की आदतें अनियमित हैं | |||
20. | मैं जल्दी सीख लेता हों पर जल्दी भूल जाता हूँ |
सारणी – 2
क्र.सं. | वर्तमान अवस्था के अनुसार वक्तव्य | लागू नहीं | कुछ हद तक | हमेशा |
1. | मैं अपने आपको बहुत काबिल समझता हूँ | |||
2. | अपनी गतिविधियों में मैं बहुत सुस्पष्ट हूँ | |||
3. | मैं प्रखर बुद्धि का कुछ दबंग आदमी हूँ | |||
4. | मैं दूसरे लोगों के मुकाबले गर्मी में अधिक बेचैनी और थकावट महसूस करता हूँ | |||
5. | मुझे पसीना जल्दी और अधिक आता है | |||
6. | मैं भले ही प्रकट ण करूं पर मुझे गुस्सा और चिडचिडाहट काफी जल्दी आ जाती है | |||
7. | मेरे बाल समय से पहले सफ़ेद हो रहे हैं, गंजा हो रहा हूँ, मेरे बाल पतले, महीन और सीधे हैं. | |||
8. | मुझे भूख अधिक लगी है और यदि मैं चाहूं तो बहुत अधिक भोजन कर सकता हूँ | |||
9. | बहुत से लोग मुझे जिद्दी समझते हैं | |||
10. | मैं सही समय पर पाखाने जाते हैं और मुझे कब्ज़ के बनिस्बत पतली टट्टी होने की सम्भावना अधिक होती है. | |||
11. | मैं बहुत जल्दी बेचैन हो जाता हूँ | |||
12. | मैं पूर्णतावादी हूँ | |||
13. | मैं बहत जल्दी गुस्सा हो जाता हूँ, पर बहुत जल्दी उसके भूल भी जाता हूँ | |||
14. | यदि मैं समय पर भोजन न करूं या खाने में देर हो जाये तो मैं बेचैन हो जाता हूँ | |||
15. | मुझे आइसक्रीम शरबत आदि बहुत पसंद है | |||
16. | मैं गर्म कमरे की अपेक्षा ठन्डे कमरे में अच्छा महसूस करता हूँ. | |||
17. | मुझे गर्म और अधिक मसालेदार खाना बर्दाश्त नहीं होता. | |||
18. | मैं असहमति के प्रति उतना सहनशील नहीं हूँ, जितना मुझे होना चाहिए. | |||
19. | मुझे चुनौतियाँ पसंद हैं और मैं जो कुछ हासिल करना चाहता हूँ उसके लिए प्रयास करता रहता हूँ | |||
20. | मैं दूसरों की आलोचना बहुत करता हूँ |
सारणी – 3
क्र.सं. | वर्तमान अवस्था के अनुसार वक्तव्य | लागू नहीं | कुछ हद तक | हमेशा |
1. | मैं धीरे-धीरे आराम से काम करना पसंद करता हूँ | |||
2. | दूसरे लोगों की अपेक्षा मेरा वजन जल्दी बढ़ जाता है और आसानी से कम नहीं होता | |||
3. | मुझमें चर्बी जमने और मोटे होने की प्रवृत्ति है | |||
4. | मैं बिना किसी ख़ास परेशानी के एक समय खाना आसानी से छोड़ सकता हूँ. | |||
5. | मुझे अधिक बलगम या थूक आने, नाक बंद होने, सांस रुकने, दमे की शिकायत रहती है. | |||
6. | मैं कम से कम 8 घंटे की नींद के बाद ही अगले दिन ठीक से काम कर पाता हूँ | |||
7. | मैं बहुत गहरी नींद सोता हूँ | |||
8. | मैं शांत प्रकृति का हूँ और आसानी से घबराता नहीं | |||
9. | मैं आदतन शांत प्रकृति का हूँ और जल्दी गुस्सा नहीं होता | |||
10. | मैं दूसरे लोगों की तरह जल्दी नहीं सीख पाता, पर मेरी याददाश्त बहुत अच्छी है | |||
11. | ठन्डे और नम मौसम में मुझे परेशानी होती है | |||
12. | मेरे बाल मोटे, काले और घुंघराले हैं | |||
13. | मेरी त्वचा मुलायम, चिकनी और रंग कुछ गहरा है | |||
14. | मेरा शरीर लम्बा, चौड़ा तथा ठोस है | |||
15. | मैं आदत से मृदु भाषी, प्यार करने और क्षमा करने वाला हूँ | |||
16. | मुझे खाना धीरे-धीरे हजम होता है | |||
17. | मेरी शारीरिक ताकत और कार्यक्षमता काफी अधिक है और मैं लगातार देर तक काम कर सकता हूँ | |||
18. | मैं आम तौर पर धीरे धीरे चलता हूँ | |||
19. | मुझमें अधिक सोने की प्रवृत्ति है और सुबह जागने के बाद सुस्ती छाई रहती है | |||
20. | मैं खाना धीरे धीरे खाता हूँ तथा अपने काम धीरे-धीरे तथा नियमानुसार करता हूँ |
अपनी प्रकृति निर्धारण करने के लिए इन तीनों तालिकाओं में दिए गए वक्तव्यों को अपनी वर्तमान अवस्था के अनुसार अंक दे दें और नीचे दिया गया विश्लेषण देखें.
वात-पित्त-कफ प्रकृति निर्धारण
किसी व्यक्ति के शरीर में वात, पित्त और कफ यूं तो समान मात्रा में होने चाहियें. लेकिन कभी कभी किसी दोष की अधिकता या कमी हो जाने पर वात, पित्त और कफ विषम हो जाते हैं. इस प्रकार सामान्य तौर पर 7 तरह की प्रकृतियाँ बनती हैं. ऊपर दी गयी तालिकाओं (सारणियों) से प्राप्त अंकों के आधार पर इन प्रकृतियों का निर्धारण किया जा सकता है. ऊपर दी गयीं सारणी -1 वात, सारणी -2 पित्त और सारणी -3 कफ दोष की मापक है. यदि तीनों सारणियों के लिए लगभग समान अंक आते हैं, तो आपके शरीर में वात, पित्त और कफ समान अवस्था में हैं. यदि आपको किसी सारणी में बाकी दोनों सारणियों से दुगुने अंक मिलते हैं. तो आपके शरीर में उसी दोष की प्रधानता है. यानी आप एक दोषज प्रकृति के हैं. इस प्रकार आप वात, पित्त या कफ प्रकृति के हो सकते हैं. यदि किन्हीं दो सारणियों में आपको अधिक अंक प्राप्त हुए हैं और किसी एक सारणी से बहुत कम अंक प्राप्त हुए हैं, तो आपके शरीर में दो दोषों की प्रधानता है. यानी आप द्विदोषज प्रकृति के हैं. अधिकांश व्यक्ति द्विदोषज प्रकृति के होते हैं. उदहारण के लिए यदि आपको सारणी -1 से 90, सारणी -2 से 70 और सारणी -3 से 40 अंक मिलते हैं तो इसका अर्थ यह है कि आपके शरीर में वात और पित्त दोषों की प्रधानता है. उनमें भी वात दोष अधिक है. इस प्रकार आपकी प्रकृति वात-पित्त प्रकृति है. इस प्रकार पित्त-वात, वाट-कफ, कफ-वात, पित्त-कफ, कफ-पित्त आदि द्विदोषज प्रकृतियाँ पाई जाती हैं .
अपने शरीर में वात, पित्त और कफ का आकलन करने के लिए यहाँ क्लिक करें.
यह भी पढ़ें :
मैदानी इलाकों में पाए जाने वाले 5 औषधीय पौधे और उनके गुण
9 कहावतों में स्वास्थ्य रक्षा के सूत्र
आँखों से चश्मा हटाने के उपाय | आँखों की देखभाल के घरेलू उपाय